संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

पत्थलगड़ी : खूंटी में हुई पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ अल्बर्ट एक्का चौक पर आदिवासियों की दस्तक

रांची 28 जून 2018. संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन एवं आदिवासी मानवाधिकार संगठन के बैनर तले गुरुवार शाम को रांची में आक्रोश मार्च निकाला गया. संगठन के लोगों के मुताबिक, यह आक्रोश मार्च खूंटी में आदिवासियों पर हुए लाठीचार्ज, मानवाधिकार के उल्लंघन और पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ निकाला गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों ने शहर के अल्बर्ट एक्का चौक पर जुटकर राज्य के पुलिस प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान सीएम रघुवर दास का पुतला भी जलाया.

भूमि अधिग्रहण बिल से ध्यान भटकाना चाहती है भाजपा सरकार : शशि

आक्रोश मार्च के दौरान आदिवासी युवा नेता शशि पन्ना ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार भूमि अधिग्रहण बिल से हम आदिवासियों का ध्यान भटकाने के लिए कभी आरक्षण, कभी पत्थलगड़ी का मुद्दा ला रही है. उन्होंने कहा कि वास्तव में जमीन लूट कानून के विरोध में ही पत्थलगड़ी हो रही है. पत्थलगड़ी हम आदिवासियों की संस्कृति, परंपरा से जुड़ी है.

राज्यपाल और रष्ट्रपति इस पर संज्ञान लें : अरुण नगेसिया

वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण नगेसिया ने खूंटी में हुई प्रशासनिक कार्रवाई को इंसानियत और मानवाधिकार की हत्या करार दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन असंवैधानिक कार्य कर रहा है, इसलिए राज्यपाल और राष्ट्रपति इस पर तत्काल संज्ञान लें.

आदिवासियों की जमीन छीनने के लिए ऐसा कर रही सरकार : कालीचरण

वहीं, आदिवासी कार्यकर्ता कालीचरण पाहन ने कहा कि भाजपा सरकार यह सब आदिवासियों की जमीन को छीनने के लिए कर रही है. लातेहार के बूढ़ा पहाड़ पर हमारे छह जवान शहीद हो गये, लेकिन सरकार ने उग्रवादियों से लड़ना छोड़कर भोले-भाले आदिवासियों पर दमन करने के लिए केंद्र की सेना और राज्य की सारी पुलिस को झोंक दिया है.

आक्रोश मार्च को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संदीप उरांव ने आदिवासी समाज से निवेदन करते हुए कहा कि खूंटी में आपातकाल वाली स्थिति है, इसलिए समाज एकजुट होकर हस्तक्षेप करे.

आदिवासी अगुवाओं से वार्ता करें राज्य और केंद्र सरकारें : हेमंत कुजूर

खुद को पांचवीं अनुसूची का जानकार बतानेवाले हेमंत कुजूर ने कहा कि एक ओर सरकार कहती है कि हम आदवासियों की संस्कृति, परंपरा, भाषा को बचाने के लिए कृतसंकल्प हैं, लेकिन सरकार ठीक इसके उलट काम कर रही है. सरकार आदिवासियों की जमीन लूटकर पूंजीपतियों को देने पर आमादा है. जब आदिवासी अपनी जमीन, संस्कृति को बचाने के लिए पत्थलगड़ी कर रहे हैं, तो सरकार इसे असंवैधानिक और देशद्रोह करार दे रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार को आदिवासी अगुवाओं के साथ वार्ता करनी चाहिए. आक्रोश मार्च में मुख्य रूप से अजय उरांव, हेमंत कुजूर, कृष्णा, सुनीता मुंडा शामिल थे.

साभार : http://newswing.com/

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