संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

तीखे विरोध के चलते प्रशासन को स्थगित करनी पड़ी जनसुनवाई

सतलुज जल विद्युत निगम के महत्वाकांक्षी लुहरी प्रोजेक्ट को स्थानीय लोगों के घनघोर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। प्रस्तावित लुहरी हाइड्रो-इलेक्ट्रिकल संयंत्र 775 मेगावाट का है और इस यंत्र में विश्व बैंक का पैसा भी लगा है।

हिमाचल प्रदेश राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रस्तावित संयंत्र से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए 5, 6, 7 मई, 2011 को लगातार जनसुनवाई का आयोजन किया। यह जनसुनवाई इस संयंत्र को पर्यावरण मंजूरी देने के संदर्भ में आयोजित की गई थी। 5 मई को नीरथ-शिमला-खेखकू- कुल्लू में 6 मई तथा परलोग-मंडी में 7 मई 2011 को जनसुनवाई का आयोजन किया गया। स्थानीय लोगों ने इस जनसुनवाई का यह कहते हुए पुरजोर विरोध किया कि न्वायर्नमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट के बारे में व्यापक प्रचार नहीं किया गया है। उन्होंने प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया कि ईआईए की हिन्दी तथा इंगलिश में एक संक्षिप्त रिपोर्ट कुछ दिन पहले सिर्फ ग्राम पंचायत के प्रधानों को दी गई है मगर आम जनमानस को न तो इस बारे में कोई जानकारी मुहैया करवायी गई है और न ही कोई दस्तावेज दिया गया है। और ईआईए की विस्तृत रिपोर्ट तो किसी को भी नहीं दी गई है। इस जनसुनवाई के बारे में आम जनता तक जानकारी पहुंचाने के लिए न तो कोई मुनादी की गई तथा न ही कोई पर्चे या पोस्टर लगाये गये। स्थानीय लोगों का यह भी कहना था कि इन दिनों खेती का काम जोरों पर है तथा इस क्षेत्र में इन्हीं दिनों बहुत सारे विवाह भी हैं।

स्थानीय लोगों की इस बात पर भी आपत्ति थी कि पर्यावरणीय प्रभाव की मूल्यांकन (ईआईए) रिपोर्ट में प्रोजेक्ट की गतिविधियों, पर्यावरण को होने वाले नुकसान, पर्यावरण प्रबंधीय योजना की विस्तृत व्याख्या नहीं की गई है।
इसलिए इस जनसुनवाई को अगली तारीख तक रद्द कर दिया जाये, क्योंकि इस जनसुनवाई में ईआइ्रए के दिशा- निर्देशों का उल्लंघन हुआ है। ईआईए के प्रावधानों के अनुसार डेवलपर को जनसुनवाई से एक महीना पहले इसकी सूचना मीडिया के द्वारा नगाड़ा पीट कर (मुनादी करके) सभी प्रभावित गांवों तक पहुंचानी चाहिए और जनसुनवाई से संबंधित पर्चे तथा पोस्टर भी बांटने चाहिए। ईआईए तथा ईएमपी (पर्यावरण प्रबंधकीय प्लान) की हिन्दी तथा इंगलिश में विस्तृत रिपोर्ट सरल रूप में हर गांव में आम जनता के बीच उपलब्ध होनी चाहिए।
सतलुज जल विद्युत निगम लुहरी में 775 मेगावाट का एक हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट लगा रही है। इसके लिए नीरथ में एक बांध बनाया जायेगा जिसकी ऊँचाई 86 मीटर तथा लम्बाई 6.8 किलोमीटर होगी। इस प्रोजेक्ट के लिये 38.138 किलोमीटर की दो सुरंगों का भी निर्माण किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट से तकरीबन 153.05 हैक्टेयर, लगभग 1700 बीघा जमीन डूब जायेगी। इस संयंत्र के लिए कुल 368.68 हैक्टेयर (लगभग 3600 बीघा) भूमि का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है। इस संयंत्र से 37 परिवार विस्थापित होंगे तथा 2337 जमीन मालिक प्रभावित होंगे।
स्थानीय लोगों द्वारा इस संयंत्र का जबरदस्त विरोध करने के फलस्वरूप 7 मई परलोग, मंडी में होने वाली जनसुनवाई को प्रशासन ने रद्द कर दिया।
इस संदर्भ में संघर्ष कर रहे स्थानीय जन संगठन सतजुल बचाओ अभियान तथा हिमालय बचाओ  अभियान ने राज्यपाल को अपनी मांगों के संदर्भ में एक ज्ञापन भी दिया है।
इन जन संगठनों ने अपने ज्ञापन में मांग की है किः-
  • लुहरी जल विद्युत परियोजना की 5-6-7 मई की जनसुनवाई स्थगित की जाये तथा जनसुनवाई फिर से की जाये, किन्तु इससे पहले स्थानीय जनता के बीच इसका व्यापक प्रचार किया जाये।
  • जनसुनवाई से पहले स्थानीय जनता को परियोजना के तमाम दस्तावेज हिंदी तथा अंग्रेजी में उपलब्ध कराये जायें।
  • सामाजिक प्रभाव अंकेक्षण रिपोर्ट बनायी जाये तथा इसे भी जनता के समक्ष रखा जाये। संपूर्ण परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी जनता को उपलब्ध करवायी जाये।
  • शुक्ला कमेटी की रिपोर्ट को अमल में लाया जाये।
  • 38 किमी0 लम्बी दो टनल वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना का वर्तमान प्रारूप हमें मंजूर नहीं है तथा सतलुज घाटी में नई प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं को पूर्ण रूप से बंद किया जाये।
  • इस परियोजना को जब तक तमाम जरूरी मंजूरियां नहीं मिल जातीं तब तक भूमि-अधिग्रहण की प्रक्रिया को रोका जाये।
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