संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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मार्च 2012

मध्य प्रदेश के जनसंघर्ष: आजीविका का सवाल

प्रदेश में 11 प्रमुख नदियाँ बहती हैं. यह नदियाँ कभी लोगों की खुशहाली का कारण होती थीं, लेकिन आज कंपनियों, कार्पोरेट्स और सरकारों के मुनाफ़ा कमाने का साधन बन चुकी हैं, क्योंकि सरकारें इन नदियों पर बाँध बनाकर इनका पानी बेचने का काम करने लगी हैं. नर्मदा, चम्बल, ताप्ती, क्षिप्रा, तवा, बेतवा, सोन, बेन गंगा, केन, टोंस तथा काली सिंध इन सभी नदियों के…
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संवैधानिक प्रावधान लागू कराने की मांग भी सत्ता को स्वीकार नहीं : विधानसभा घेरने जा…

सत्ता की कथनी-करनी का गंभीर फर्क बार-बार सामने आता रहता है। भारतीय संविधान में आदिवासियों की विशष्टताओं को देखते…

कोयला खदान में जल भराव के कारण हुई थी 375 लोगों की जल समाधि, दोषियों को 36 साल बाद दी गयी सजा, वह भी एक साल की

एक लोकतांत्रिक देश में जहां पर दिल्ली जैसे शहर में 12 रुपये बिजली बिल का बकाया होने पर काली सूची में डाल दिया जाता है वहीं पर 36 साल पहले 375 मजदूरों को जल समाधि दिलाने वालों को झारखण्ड की एक निचली अदालत में मात्र एक साल की सजा दी जाती है वह भी 34 साल तक चले अदालती मुकदमे के बाद.......करीब 36 साल पहले चासनाला तत्कालीन बिहार राज्य जो अब झारखण्ड…
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28 मार्च को घेरेंगे कलेक्टरेट, देंगे धरना: उच्च न्यायालय में लगायेंगे न्याय की…

16 मार्च 2012 को पी.यू.सी.एल. के प्रांतीय अध्यक्ष चितरंजन सिंह एवं जिला अध्यक्ष तथा मंत्री लक्ष्मण गिरि एवं विकास…

खनन हादसा मामले में जाँच दल की रिपोर्ट वन, श्रम, राजस्व विभाग व जे.पी. कम्पनी पर…

जे.पी. कम्पनी के मालिकों पर हत्या तथा प्राकृतिक संसाधनों की लूट के आरोप में मुकदमा दर्ज कराने की मांग आदिवासियों…