संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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वन भूमि अतिक्रमण: सरकारी दावों में विरोधाभास,आदिवासियों के अधिकारों पर संकट

मध्यप्रदेश में वन भूमि अतिक्रमण को लेकर सरकारी आंकड़ों और दावों में गंभीर विरोधाभास सामने आया है। एनजीटी में प्रस्तुत हलफनामे में जहां 5.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण की बात मानी गई है, वहीं वन विभाग की रिपोर्टें पुराने आंकड़ों पर ही अटकी हैं। इस विरोधाभास ने वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों को मिलने वाले अधिकारों को लेकर कई सवाल…
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गुजरात: सरकारी अस्‍पताल के निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ आदिवासी समुदाय का विरोध

दक्षिण गुजरात के तापी जिले में स्थित व्‍यारा के सरकारी अस्‍पताल और नव-स्वीकृत मेडिकल कॉलेज के निजीकरण के…

मध्य प्रदेश : माधुरी बेन एक साल के लिए जिला बदर; एआईकेएमएस ने निष्कासन की निंदा

एआईकेएमएस की केंद्रीय कार्यकारी ने जागृत आदिवासी दलित संगठन की नेता माधुरी पर एक साल के निष्कासन आदेश पारित करने के…

‘विकास’ की वजह से विनाश की ओर जाता आदिवासी समुदाय : कान में तेल डालकर…

अब केवल विकास करते रहना ही जरूरी नहीं है, बल्कि अब विकास और विकास नीतियों की समीक्षा जरूरी है। 1986 मे संयुक्त…

उड़ीसा : आदिवासियों के विरोधों के बावजूद अडानी का खनन कार्य जारी

उड़ीसा के मुंडा पाड़ा में दिसंबर 2019 में अडानी की कोयला खनन परियोजना के लिए तालाबीरा वन में 40,000 से अधिक पेड़ों…

आदिवासियों की बेदखली का फरमान और जमीन की कारपोरेटी लूट

-सीमा आज़ाद 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में 13 फरवरी को दिया गया एक ऐसा फैसला जंगल में आग की तरह फैला, जिसने लोगों को स्तब्ध कर दिया। यह एक ऐसा फैसला था, जिसके सुनाये जाते समय पीड़ित पक्ष अदालत में मौजूद ही नहीं था। यह फैसला था- देश के 17 राज्यों के वन क्षेत्रों में बसे 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों को 24 जुलाई 2019 के पहले उजाड़ने का। फैसले के अनुसार ये…
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आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को दुरुस्त करते करते अन्याय को स्थाई कर दिया…

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदिवासियों को वन भूमि से हटाने के दिए गए निर्देश ने संविधान और संवैधानिक…

मोदी सरकार की उपेक्षा के कारण 20 लाख आदिवासी परिवारों के सामने पैदा हुआ अस्तित्व…

केन्द्र की उदासीनता से आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा-रनसिंह परमार केन्द्र की उपेक्षा के कारण आदिवासियों के…