संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

आदिवासियों पर पुलिस फायरिंग का मामला : हज़ारों आक्रोशित आदिवासियों का बुरहानपुर कलेक्टरेट का घेराव

बुरहानपुर कलेक्टरेट का घेराव: वन अधिकार कानून एवं शासन के शासकीय आदेशों के उल्नलंघन पर हज़ारों आदिवासियों का आक्रोश

वन विभाग द्वारा वन अधिकार अधिनियम को तोड़ने पर तथा मध्य प्रदेश सरकार के लिखित आदेश के उल्लंघन में हुई अवैध बेदखली कार्यवाही एवं आदिवासियों पर गोली चालन के विरोध में आज 12.07.2019 को जागृत आदिवासी दलित संगठन द्वारा विरोध रैली एवं प्रदर्शन का आयोजन हुआ | रैली में जिला के ३००० से ज़्यादा आदिवासी किसान मजदूर शामिल हुए |

रैली अस्पताल के पार्किंग से निकल कर, कलेक्टर कार्यालय तक गई, जहाँ पर मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के श्री ओमकार सिंह मरकाम के नाम ज्ञापन कलेक्टर के हवाले सौंपा गया | ज्ञापन के साथ सभा के दौरान कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से वन विभाग की पूर्णतः कानूनी विरोधी कार्यवाही में राजस्व विभाग एवं पुलिस कि भागीदारी पर भी सवाल उठाये गए |

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वन अधिकार अधिनियम के धारा 4(5) के अनुसार वन अधिकार के दावेदारों पर दावों की प्रक्रिया की गहण एवं नियमित निरिक्षण के बगैर कार्यवाही नहीं की जा सकती है | मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 1 मई 2019 के प्रदेशभर में भेजे गए आदेश भेजा गया था कि राज्य स्तरीय निगरानी कमिटी के निर्णय अनुसार सभी निरस्त दावों का पुनः परीक्षण पारदर्शी प्रक्रिया से किया जाना है तथा “निरस्त /अमान्य किये गए दावेदारों को आगामी आदेश तक बेदखल न किया जाए” l

ग्राम सिवल के आदिवासियों पर ना केवल गोलीचालन हुआ, बल्कि वन विभाग के हमले के बारे में शिकायत करने गए थाने में कई घंटों बैठे आदिवासियों के मांग के बाद भी FIR दर्ज नहीं हुई, उल्टा इन्ही आदिवासियों पर वन विभाग कि फ़रमाइश पर फर्जी मुक्कदमे दर्ज कर, आदिवासियों पर दबाव बना कर, मामले को रफा-दफा करने कि कोशिश सामने आई है | FIR का फर्जीवाडा इस बात से प्रतीत होता है कि इस में आरोपी तान्का की मौत 20 वर्ष पहले हो चुका है, और उनके भाई नानकु को उनका पिता बताया गया है !

एकत्रित हुए आदिवासियों द्वारा यह मांग कि गई कि-

1. वन विभाग के दोषी अधिकारी – DFO सुधांशु यादव, SDO नेपानगर श्री भूपेन्द्र शुक्ला और रेंजर श्री राजेश रंधावे पर भादस 307 के अन्तर्गत कार्यवाही की जाए एवं दोषियों पर अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाई की जाए एवं गिरफ्तार किया जाए

2. पेसा कानून, म. प्र ग्राम स्वराज एवं पंचायती राज 1993 एवं वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाए, कि प्रशासनिक कर्मियों द्वारा ग्राम सभा के कानूनी अधिकारों का हनन न किया जाए

3. वन अधिकार अधिनियम की धारा 4(5) के अनुसार एवं राज्य सरकार के 1 मई 2019 के आदेश का पालन करते हुए किसी भी वन अधिकार के लिए दावेदार आदिवासी एवं परम्परागत वन निवासी की बेदखली नहीं की जाएगी।

4. ग्रामीणों के खिलाफ झूठे मुकदमे तुरंत खारिज किया जाए।

कलेक्टर एवम् पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन पढ़ कर सुनाया गया एवं प्रशासन से उनके द्वारा क्या कदम उठाए गए है, इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।

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