संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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बांध विरोधी आंदोलन

मध्य प्रदेश : ‘पेसा कानून’ के बरक्स बसनिया बांध

आज के विकास की मारामार में सरकारें और कंपनियां उन कानूनों तक को अनदेखा कर रही हैं जिन्हें बाकायदा संसद में पारित किया गया है। इन कानूनों के मैदानी अमल के लिए बनाए जाने वाले नियमों में, मूल कानून की भावना को तोड़-मरोड़कर राज्य सरकारें उन्हें अपनी तरफ कर लेती हैं। प्रस्तुत है,  मध्यप्रदेश के मंडला जिले के बसनिया बांध में की गई इसी तरह की गफलत को…
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मध्य प्रदेश : ढाई दशक बाद महेश्वर परियोजना प्रभावितों और विस्थापितों के संघर्ष की…

महेश्वर विद्युत् परियोजना के सभी समझौतों को रद्द करने का मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत…

नर्मदा नव निर्माण अभियान पर फर्जी मुकदमा उनके ऐतिहासिक संघर्ष को बदनाम नहीं कर…

नर्मदा नव निर्माण अभियान पर फर्जी मुकदमे के खिलाफ जनसंघर्ष समन्वय समिति का वक्तव्य मेधा पाटकर और नर्मदा नव निर्माण…

सौ साल बाद भी संघर्षों को दिशा दिखाता मुलशी सत्याग्रह

कम ही लोगों को मालूम होगा कि विस्थापन-पुनर्वास से लेकर विकास की अवधारण तक पर सवाल उठाने वाली बांध विरोध की ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की लडाई सौ साल पुराने ‘मुलशी सत्याग्रह’ की विरासत का ही एक पड़ाव है। उस जमाने में ‘टाटा कंपनी’ के बांध के खिलाफ चले इस लंबे संघर्ष को लेकर पत्रकार और आंदोलनकारी विनायकराव भुस्कुटे की मराठी में लिखी किताब ‘मुलशी सत्याग्रह’…
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गुजरात : पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की…

-विवेक शर्मा वैसे तो इस देश में हमेशा से आदिवासी समाज हाशिये पर रहा है, लेकिन इन दिनों गुजरात में यह समाज भाजपा…

मध्य प्रदेश : पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग…

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग के खिलाफ कार्यवाही का आदेश बांध के निर्माण पर…

गुजरात : तापी पार नर्मदा लिंक परियोजना के विरोध में आदिवासियों का प्रदर्शन

अगर ये तीन बड़े बांध बन गए तो 35 से ज्यादा गांवों के 1700 से ज्यादा परिवारों की जमीनें और घर जलमग्न हो जाएंगे.50 हजार से ज्यादा आदिवासी प्रभावित होंगे
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मध्य प्रदेश : बगैर पर्यावरण स्वीकृति के बना दिया आंवलिया बांध, डूबा दीं सैकड़ों…

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया परियोजना की अर्जी का प्रकरण बंद बांध का काम रुका बिना पर्यावरणीय मंजूरी के किया…

उत्तराखण्ड : टिहरी बांध से प्रभावित गांव आज भी कर रहे हैं न्याय की प्रतीक्षा

उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में बने टिहरी बांध के लिए ज़मीन देने वाले ग्रामीण आज भी बदले में ज़मीन मिलने की आस लगाए बैठे हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। पढ़िए न्यूजक्लिक से साभार मुकुंद झा की रिपोर्ट; टिहरी बांध से प्रभावित कई गांवों के लोग आज भी अपनी ज़मीन के बदले ज़मीन की आस लगाए बैठे हैं परन्तु इतने साल बाद भी उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं…
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