157 मामलों में जेल में कैद निर्मला 12 साल बाद बिना किसी दोष के रिहा : कौन देगा बारह सालों का हिसाब
पिछले दस-पंद्रह सालों में छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के उपर चल रहे दमन का एक बड़ा उदाहरण आज जगदलपुर में मिला जहां 12 सालों से 157 मामलों में कैद निर्मला 3 अप्रैल 2019 को जगदलपुर केंद्रीय जेल से निर्दोष साबित होने पर रिहा किया गया । निर्मला को 2007 में रायपुर से माओवादी होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन 12 सालों में भी प्रशासन उन पर लगा एक भी आरोप साबित नहीं कर पाया। यह हकीकत है आज देश में चल रही न्यायिक व्यवस्था की जहां दंगों में लिप्त दोषी रिहा हो जाते हैं किंतु आदिवासी दलित तबके बिना किसी आरोप के अपने जीवन के कीमती वर्ष जेल में बिताते रह जाते हैं। सवाल यह उठता है कि निर्मला के जीवन के इन बहुमूल्य 12 सालों का हिसाब इस देश की न्याय व्यवस्था कैसे देगी। पढ़िए तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट;
रायपुर 3 अप्रेल 2019। जगदलपुर- 157 मामले दर्ज, 12 साल जेल में बिताए, एक भी मामले।में सबूत नही मिला, अब हुई निर्दोष साबित। जगदलपुर केंद्रीय जेल में 12 सालों से कैद निर्मलक्का की आखिरकार रिहाई हो गई। सुबह 11 बजे निर्मलक्का जेल से बाहर आई। जिन्हें रिसीव करने सोनी सोरी पहुंचे थे। बाहर आने के बाद निर्मला ने बताया कि उसके ऊपर करीब 157 मामले दर्ज थी। लेकिन किसी भी मामले में एक भी सबूत नहीं मिल पाया है। निर्मला ने बताया कि एक केस को निपटाने में ही 10 साल लग गए।
बात दे कि नक्सली मुहिम में शामिल होने के आरोप में पकड़ी गई निर्मलक्का निर्दोष साबित हुई है। निर्मलक्का व उसके पति चंद्रशेकर रेड्डी को 2007 में रायपुर में गिरफ्तार किया गया था। निर्मलक्का के खिलाफ 157 मामले दर्ज किए गए थे। विभिन्न मामलों मे पुलिस व्दारा सबूत पेश किए जाने के अलावा गवाहों के बयान भी हुए। सभी तथ्यों की सूक्ष्म पड़ताल करने के बाद दंतेवाड़ा अदालत ने निर्मलक्का को दोष मुक्त पाया और कल 2 अप्रैल को उसकी रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए।
निर्मला ने बताया कि यहाँ से अब सीधा अपने पति और बच्चों के पास जाएगी और वहीं रहेगी। उन्होंने कहा पिछले साल तो मेरे पति को भी जेल हो गयी थी। जिसके बाद उनकी भी रिहाई हो गयी है। निर्मला ने बताया कि- ‘साल 2007 जुलाई से केस शुरू हुआ था। मेरा अंतिम मामला दंतेवाड़ा के फ़ास्टट्रैक कोर्ट से किया गया। शासन इस पूरे मामले में कोई भी सबूत जुटा नहीं पाया और कोर्ट को हमें छोड़ना पड़ा। कई प्रकरण तो ऐसे थे, जिसे सुनने और निपटाने में 12 साल का समय लग गया। मुझे और मेरे पति को एक साथ पिछले वर्ष गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनके खिलाफ भी कोई सबूत नहीं मिल पाने के कारण उन्हें भी छोड़ दिया गया।’ उन्होंने बताया कि- ‘वर्ष 2007, 2008, 2014, 2015 में भी नए-नए मामले दर्ज होते रहे। लेकिन किसी में भी अपराध साबित नहीं हो पाया। जिसके चलते आज जगदलपुर केंद्रीय जेल से रिहा हो गई हूं। यहां से पहले अपने मायके श्रीकाल जाऊंगी, वहां से चितुर ससुराल जहां पति और बेटा मेरा इंतजार कर रहे हैं उनके साथ आम जिंदगी बिताऊंगी।’