संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

किसान आंदोलन के पूरे 13 महीने का ब्योरा : कब, कहाँ, क्या हुआ

‘378’... ये महज़ एक संख्या नहीं बल्कि वो दिन और राते हैं, जो हमारे देश के अन्नदाताओं ने दिल्ली की सड़कों पर गुज़ारी हैं... चिलचिलाती धूप, मूसलाधार बारिश और भीषण ठंड को किसानों ने सिर्फ़ इसलिए झेला ताकि आने वाली पीढ़ियां कभी इस गर्त में ना फँसें। न्यूज़ क्लिक से साभार रवि शंकर दुबे की रिपोर्ट; पंजाब, हरियाणा समेत पूरे देश का किसान दिल्ली में गाजीपुर…
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छत्तीसगढ़ : जब तक हसदेव के समस्त कोयला खदानों को निरस्त नहीं किया जाता संघर्ष जारी…

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा 10 दिसंबर 2021 को ग्राम मदनपुर में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी, शहीद…

छत्तीसगढ़ : केंद्र व राज्य सरकार ‘हसदेव अरण्य क्षेत्र’ में कोयला खनन की मंजूरी दे…

-महिबुल संभवत: देश के सबसे घने जंगल में से एक, हसदेव अरण्य में अडानी को कोयला खदान की मंजूरी दे कर छत्तीसगढ़ सरकार…

छत्तीसगढ़ : कुसमुंडा खदान भू-विस्थापित 40 वर्ष बाद भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं; आंदोलन जारी

कुसमुंडा में कोयला खनन के लिए 1978 से 2004 तक कई गांवों के हजारों किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अधिग्रहण के 40 वर्ष बाद भी भू-विस्थापित रोजगार के लिए भटक रहे हैं और एसईसीएल दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं। पढ़िए न्यूज़क्लिक से साभार रिपोर्ट; कोयला खनन के लिए दशकों पूर्व भूमि अधिग्रहण में अपनी जमीन खोने वाले भू-विस्थापित आज भी मुआवजे…
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उत्तराखण्ड : बांधों से बेहाल हिमालय

साठ के दशक में ‘नए भारत के तीर्थ’ माने गए बड़े बांध आजकल किस तरह की त्रासदी रच रहे हैं, इसे देखना-समझना हो तो केवल उत्तराखंड की यात्रा काफी होगी। गंगा और उसकी अनेक सहायक नदियों पर जल-विद्युत, सिंचाई और बाढ़-नियंत्रण की खातिर ताने जा रहे असंख्य बड़े बांधों ने हिमालय का जीना मुहाल कर दिया है। प्रस्तुत है, इसी की पड़ताल करता प्रमोद भार्गव का यह लेख;…
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दिल्‍ली में उठी छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य की ग्राम सभाओं की आवाज़

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के 1.70 लाख हेक्टेयर के घने जंगल में कोयला खनन के खिलाफ पिछले दस सालों से स्थानीय आदिवासी…

मध्य प्रदेश : बार-बार विस्थापन से मानसिक, भावनात्मक व शारीरिक रूप से टूट रहे…

"जल, जंगल, जमीन ही हमारी सम्पत्ति है। सरकार हमें विस्थापित कर हमारी संस्कृति को ही खत्म कर देना चाहती है। यह तो…

वन संरक्षण कानून 1980 में प्रस्तावित संशोधन जंगल को कॉरपोरेट्स के हाथों बेचने की साजिश : भूमि अधिकार आंदोलन

नई दिल्ली : 2014 में एनडीए सरकार द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण अधिनियम का विरोध करने के लिए शुरू किए गए भूमि अधिकार आंदोलन समूह ने 12 नवंबर को एक बार फिर राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान करते हुए प्रस्तावित संशोधनों को तर्कहीन और असंवैधानिक बताया। वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2 अक्टूबर को उसी अधिनियम में 1988 में किए गए संशोधनों के संदर्भ में…
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