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संघर्ष संवाद
गोम्पाड नरसंहार मामले पर उच्चतम न्यायालय का यह फैसला नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत को…
14 जुलाई 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 के एक मामले में हिमांशु कुमार और बारह अन्य लोगों द्वारा दायर एक रिट!-->…
नर्मदा नव निर्माण अभियान पर फर्जी मुकदमा उनके ऐतिहासिक संघर्ष को बदनाम नहीं कर…
नर्मदा नव निर्माण अभियान पर फर्जी मुकदमे के खिलाफ जनसंघर्ष समन्वय समिति का वक्तव्य
मेधा पाटकर और नर्मदा नव निर्माण…
वन जमीन डायवर्जन नियम में संशोधन : कारपोरेट के सामने नतमस्तक सरकार
मोदी सरकार की “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” नीति के तहत केंद्रीय वन, पर्यावरण एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 जून 2022 को वन सरंक्षण अधिनियम 1980 के नियम में संशोधन किया है। नियमों में संशोधन के अनुसार वन जमीन को निजी पूंजी-कंपनियों के लिए डायवर्जन के सम्बन्ध में त्वरित कार्यवाही की जाएगी। इस प्रक्रिया में राज्य सरकार तथा संवैधानिक ग्रामसभा की…
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झारखण्ड : स्वामित्व योजना के खिलाफ रांची में संघर्ष संकल्प गोष्ठी; 9 जुलाई 2022
संघर्ष संकल्प गोष्ठी
दिनांक: 9 जुलाई 2022
समय : 10 बजे से
स्थान : एचआरडीसी रांची, खजूर तालाब के पास।…
संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट और दमन को साझे संघर्ष ही दे पायेंगे चुनौती : भूमि अधिकार…
रायपुर 28 जून 2022, पेस्टोरल सेंटर में भूमि अधिकार आंदोलन एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के बैनर तले जल-जंगल-ज़मीन की…
सौ साल बाद भी संघर्षों को दिशा दिखाता मुलशी सत्याग्रह
कम ही लोगों को मालूम होगा कि विस्थापन-पुनर्वास से लेकर विकास की अवधारण तक पर सवाल उठाने वाली बांध विरोध की ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की लडाई सौ साल पुराने ‘मुलशी सत्याग्रह’ की विरासत का ही एक पड़ाव है। उस जमाने में ‘टाटा कंपनी’ के बांध के खिलाफ चले इस लंबे संघर्ष को लेकर पत्रकार और आंदोलनकारी विनायकराव भुस्कुटे की मराठी में लिखी किताब ‘मुलशी सत्याग्रह’…
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उड़ीसा : वन मंजूरी के बिना हो रहा खनन ‘अवैध’ है- सुप्रीम कोर्ट
6 जून 2022 नयी दिल्ली; सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से नाराजगी जताते हुए कहा कि खनन कंपनियां, जिन्हें केंद्र और अन्य…
राकेश टिकैत पर हमला : किसान संगठन अपने नेताओं की सुरक्षा का इंतजाम स्वयं करें
राकेश टिकैत पर स्याई फेंके जाने की घटना की न्यायिक जांच कराए कर्नाटक सरकार
सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग
-डॉ…
गुजरात : पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!
-विवेक शर्मा
वैसे तो इस देश में हमेशा से आदिवासी समाज हाशिये पर रहा है, लेकिन इन दिनों गुजरात में यह समाज भाजपा सरकार की पूंजीवादी नीतियों के कारण बिल्कुल ही गर्त में जाने को मजबूर हो चुका है। आदिवासियों को गुजरात की भाजपानीत सरकार की नीतियों ने इस कदर मजबूर कर दिया है कि वर्तमान में जब समूचा देश गर्मी के प्रकोप, गरीबी, महंगाई जैसी वीभत्स हालातों…
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