संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

पुलिसिया दमन के विरोध में नियामगिरी के आदिवासियों ने किया थाने का घेराव

नियामगिरी सुरक्षा समिति के सैकड़ों डोंगरिया कोंध जनजाति के लोगों ने 11 अप्रैल 2016 को पुलिस दमन के विरोध में मुनिगुड़ा पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन तहसीलदार तपन कुमार सतपथी के माध्यम से राज्यपाल को सौंपा। आदिवासियों का कहना है कि नियामगिरी पर्वत में निरंतर खनन के चलते उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

ज्ञापन सौंपते हुए नियामगिरी सुरक्षा समिति के अध्यक्ष दाधी पुसिका ने कहा कि जहां वह एक तरफ अपनी संस्कृति, परंपरा और पर्यावरण के सुरक्षा की मांग कर रहे हैं वहीं भ्रष्ट सरकारी अधिकारी पुलिस प्रशासन और सीआरपीएफ के जवानों के साथ मिलकर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से उत्पीड़ित कर रहे हैं।

आदिवासियों ने दोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्यवाही और पर्वतीय क्षेत्र में शांति बहाली की मांग रखी। ज्ञापन में दिए गए उत्पीड़न के मामलों में हरिबंधु कडरका की झूठे मामलों में गिरफ्तारी, धमनपंगा गांव के दरिका कडरका की मानसिक उत्पीड़न की वजह से की गई आत्महत्या, दंगमती के शिक्षित युवक मंडा कडरका की हत्या और देंगुनी के नेपाल तरकी के मानसिक उत्पीड़न के साथ-साथ नियामगिरी यूथ फोरम के संयोजक दसरू कडरका की कुछ दिनों पहले हुई माओवादी होने का झूठा आरोप लगाते हुए की गई गिरफ्तारी भी शामिल है।

प्रदर्शन में आदिवासी समुदाय के सैकड़ों पुरूष और महिलाओं के साथ-साथ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लिंगराज आजाद, लादो सिकाका, निरंजन आचार्य, पदमानव चौधरी और सांबा हिकाका ने भी भाग लिया।

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