संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

पॉस्को परियोजना रद्द करो ! भारत को आजाद करो !

22 जून, 2012 को पॉस्को और सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर करने के 7 वर्ष पूरे होने के मौके पर पॉस्को प्रतिरोध संग्राम समिति ने पटनाहाट एवं बालितिथा में पोस्को के विरोध में दो जनसभाओं का आयोजन किया। वक्ताओं ने कहा कि अगले दो महीनों में, भारत की आजादी के 65 वर्ष पूरे हो जाएंगे। हम उन लोगों को याद करने को मजबूर हो जाएंगे जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपने निजी-हितों का बलिदान किया। अफसोस की बात है, कि भूमंडलीकरण के बाद के पिछले डेढ़ दशक के दौरान, हमारे नेटा आजादी की लड़ाई के उन उद्देश्यों का ही त्याग कर रहे हैं। भारत की भूमि, नदियों, पहाड़ों, समुद्र, और जंगलों को वैश्विक कंपनियों को बेचा जा रहा है और लाखों किसानों, दलितों, आदिवासियों और मछुआरों को विथापित किया जा रहा है और इस देश के पर्यावरण का विनाश हो रहा है।

विशाल बहुराष्ट्रीय कंपनी पॉस्को की परियोजना वैश्वीकृत भारत का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है। इस परियोजना से हजारों किसानों, दलितों, महिलाओं, बच्चों, मछुआरों और स्थानीय लोगों का जीवन नष्ट होगा।
पॉस्को के खिलाफ जन-आंदोलन पॉस्को और उड़ीसा सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद ही शुरू हो गया था। तब से पॉस्को-समर्थक गुंडों द्वारा प्रतिरोधरत सौ से लोगों पर पर अधिक बम के द्वारा हमले किए गए हैं और करीब 100 ग्रामीणों को ओडिसा पुलिस द्वारा गोली मार दी गई है। जबकि अभय साहू और नारायण रेड्डी जैसे नेताओं के साथ 1500 से अधिक ग्रामीण और कार्यकर्ता 200 से अधिक झूठे केसों का सामना कर रहे हैं। कई ग्रामीण गिरफ्तारी के डर से इलाज कराने गांवों के बाहर अस्पताल में नहीं जाते हैं। जबकि 5 कार्यकर्ताओं अब भी जेल में हैं, पॉस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के नेतृत्व में द्वारा पॉस्को के खिलाफ यह संघर्ष अभी भी केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ मिलीभगत से काम कर रहे विशाल वैश्विक पूंजीवादी ढाँचे के विरोध में लगातार जारी है।
हम मानते हैं कि अगर – पॉस्को विरोधी आंदोलन को कार्पोरेट्स के हितों की वजह से दबा दिया है, तो यह ओडीशा और भारत के बाकी हिस्सों में में इसी तरह के कई संघर्षों को प्रभावित करेगा। चूंकि यह सेज परियोजना इस देश में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है, इसलिए इसके खिलाफ चल रही लड़ाई को वैश्वीकरण के खिलाफ और भारत की आजादी के संघर्ष के प्रतीक के रूप में समझा जाना चाहिए। – प्रशांत पैकरा, पॉस्को प्रतिरोध संग्राम समिति
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