संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

परमाणु-ऊर्जा के खतरनाक दुःस्वप्न को हरियाणा के किसानों की चुनौती

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में पिछले अठारह महीने से चल रहा परमाणु ऊर्जा-विरोधी आन्दोलन निर्णायक स्थिति में पहुँच गया है। पिछले महीने जहां गोरखपुर उसके पड़ोसी गांवों के किसानों ने भारतीय परमाणु ऊर्जा कारपोरेशन (NPCIL) को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में घसीटा और कोर्ट ने कारपोरेशन को तलब किया है, वहीं हरियाणा की राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण आदेश को सेक्शन-9 के तहत जारी कर अनिवार्य बना दिया है और मुआवजे की राशि को बढ़ाकर सभी तरह की जमीनों के लिए चौंतीस लाख रूपए प्रति एकड़ कर दिया है।

इसके पहले, मुआवजा राशि खेतिहर जमीन के लिए बत्तीस लाख प्रति एकड़ और बंजर जमीन के लिए बीस लाख प्रति एकड़ थी। फतेहाबाद के किसानों ने इस राशि को ठुकराकर सरकार और सत्तावर्ग की इस सोच को करारा जवाब दिया है कि हरियाणा के किसान देश के अन्य हिस्सों के किसानों की तरह विस्थापन को मुद्दा नहीं बनाते और पैसे ले-देकर मान जाते हैं। जब बात सुरक्षा, सेहत और जिंदगी की हो तो देश का हर आम-आदमी मुनाफाखोर नीति-निर्माताओं के खिलाफ खडा हो सकता है। शायद यही वजह है कि 10 फरवरी को जब गोरखपुर परमाणु संयंत्र विरोधी मोर्चा ने आह्वान किया तो गोरखपुर गाँव के अलावा आस-पास के दस गांवों – चिंदड़, खाराखेड़ी, धाँगड़, काजलहेडी, मोचीवाली, चोबारा, जान्देली, धामन और नेहला के किसान हजारों की तादाद में फतेहाबाद शहर में इकट्ठा हुए और लालबत्ती चौक से मिनी सचिवालय तक रैली निकाली और विरोध-प्रदर्शन किया। इस रैली ने मिनी सचिवालय पर जाकर सभा का रूप ले लिया, जहां गोरखपुर के किसान पिछले अठारह महीने से धरने पर बैठे हैं। सभा को सभी गांवों के नेताओं और प्रमुखों ने संबोधित किया. दिल्ली से इस विरोध-प्रदर्शन में शिरकत के लिए पहुंचे वैज्ञानिक सौम्य दत्ता और सी.एन.डी.पी. के सुन्दरम ने भी संबोधित किया।

इस महीने की शुरुआत में गोरखपुर के किसानों ने गाँव के इर्द-गिर्द जांच-पड़ताल कर रही एन.पी.सी.आई.एल. की सर्वे टीम को कई घंटों तक रोके रखा और उनसे सवाल-जवाब किए। यह सर्वे-दल एक निजी एजेंसी का था जिसे कारपोरेशन ने भेजा था। ग्रामीणों ने साफ तौर पर ऐसे किसी सर्वेक्षण से मना कर दिया और कहा कि जबतक सरकार हमारे सवालों का जवाब नहीं देती और अधिग्रहण का मामला न्यायालय के अधीन है, कारपोरेशन को इस तरह काम आगे बढाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। आन्दोलन में आए इस नाटकीय मोड़ में फतेहाबाद जिले की व्यापक जनता में भी इस मुद्दे में रूचि जताई और क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय मीडिया में भी फतेहाबाद का परमाणु-विरोधी आन्दोलन प्रमुखता से अपनी जगह बना पाया। – राजेन्द्र शर्मा/कुमार सुंदरम
इसको भी देख सकते है