संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

कूडनकुलम भविष्य की भोपाल त्रासदी हो सकता है : नॉम चौम्स्की

संयुक्त राज्य अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् तथा विचारक नोमचोमस्की ने कहा है कि कूडनकुलम भविष्य में होने वाली भोपाल त्रासदी हो सकता है। संघर्ष कर रहे लोगों के समर्थन में लिखे एकजुटता पत्र में नोम चोमस्की ने कहा कि परमाणु ऊर्जा एक खतरनाक पहल है खासकर भारत जैसे देशों जहां औद्योगिक आपदाएं ज्यादा बड़ी तादाद में होती रहती है। भोपाल आपदा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के शुरू होने के विरोध में साहसी लोगों के आंदोलन के लिए मैं अपनी एकजुटता व्यक्त करना चाहता हूँ।

नोमचोमस्की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध भाषाविद, दार्शनिक, संज्ञानात्मक वैज्ञानिक, तर्कशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक आलोचक और कार्यकर्ता है, उन्होंने एमआईटी में भाषा विज्ञान तथा दश्रन के विभाग एक प्रोफेसर के रूप में काम किया है, भाषा विज्ञान में अपने काम के अलावा उन्होंने युद्ध, राजनीति, मास मीडिया और कई अन्य क्षेत्रों पर लिखा है। चोमस्की को 1980 से 1992 के बीच किसी भी अन्य जीवित विद्वान से सबसे ज्यादा उद्धृत किया गया था और 2005 के एक सर्वेक्षण में उन्हें ‘दुनिया का शीर्ष जन बुद्धिजीवि’ चुना गया था। आधुनिक भाषा विज्ञान का पिता कहे जाने वाले चोमस्को को उनकी पुस्तक ‘मैनुफैकचरिंग कन्सेंट’ के लिए जाना जाता है। नेशनल फिश वर्करस फोरम के सचिव टी. पीटर ने कहा ‘‘ नॉम चोमस्की का समर्थन, केरल, तामिलनाडु तथा श्रीलंका के मछुआरा समुदाय के लिए सबसे बड़ा वरदान है जो दुर्भाग्यवश कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पहले पीड़ित हैं। हमें उम्मीद है कि अब अधिक से अधिक सूमहों तथा व्यक्त्यिों का समर्थन इस संघर्ष को मिलेगा।’

आज चोमस्की मौजूदा समय में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के बुद्धिजीवियों में से सबसे अग्रणीय वामपंथी बुद्धिजीवी हैं। यह आश्चर्य की बात है कि जब इस तरह के एक महान व्यक्तित्व ने कूडनकुलम संघर्ष के लिए समर्थन व्यक्त किया है, भारत में वामपंथी अभी भी परमाणु ऊर्जा के खतरों पर अपने रूख के बारे में उलझन में है।- कायकर्ता तथा लेखक ‘सिविक चन्द्रन’ चोमस्की का यह समर्थन कूडानकुलम मुद्दों पर परमाणु विरोधी कार्यकर्ताओं द्वारा इंटरनेट के माध्यम से जानी पहचानी वेबसाइट www.countercurrents.org पर अद्भुत तरीके से चलाये गये अभियान की कोशिशों का हिस्सा है। यह वेबसाइट कूडनकुलम संघर्ष के समर्थन में जाने पहचाने राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय हस्तियों के बयानों को पोस्टर के रूप उनकी फोटो के साथ 11 अक्टूबार के बाद से रोज प्रकाशित कर रही है।

माइरिड मेगुआर , 1976 की नोबल शांति पुरस्कार विजेता तथा आयरिश शांति कार्यकर्ता, ने भी कूडानकुलम संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष दुनिया के लिए एक प्रेरणा है उन्होंने कहा कि यह संघर्ष दुनिया के लिए एक प्रेरणा है उन्होंने यह भी कहा मैं कूडनकुलम के साहसी लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करती हूं क्योंकि वह अपने इलाकों में कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयत्र का अहिंसक तरीके से प्रतिरोध कर रहे है। गांव के साहसी पुरुष और महिलायें जो अपने बच्चोकं के जीवन की रक्षा के लिए तथा मछुआरों सभी की आजीविका तथा अपने पर्यावरण के लिए अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।

हम आप सभी का समर्थन करते हैं, बहादुर बने रहिये, चुप मत रहिये आप इस संकट से बाहर आ जायेंगे.. अपने काम से आप दुनिया भर में हम जैसे लोगो के लिए प्रेरणा बन गये हैं हम सच्चे अर्थों में आपके साथ हैं शांति।

इंटरनेट पर यह अभियान पोस्टरों के द्वारा केरल के मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन के साथ शुरू हुआ जिन्होंने कहा ‘हमें इस परमाणु बम की जरूरत नहीं है केन्द्रीय सरकार को इस संयंत्र से संबंधित सारी गतिविधियों तत्काल रोकना चाहिए। केरल सरकार को तुरंत जागना चाहिए और लोगो पर आये इस खतरे पर समझदारी से काम करना चाहिए।

जबकि परमाणु ऊर्जा पर अच्युतानंदन के इस रूख पर बहस की जा रही है, कुछ दूसरे लोगों ने इस अभियान के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है: कूडानकुलम की गरीब जनता वही कर रही है जो कोई भी अपनी जिंदगी की तथा अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए करेगा। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सरकार जो परमाणु लॉबी का एक हिस्सा बन गई है, वह इसे समझ नहीं सकती। उन्हंे चेरनोबिल और फुकुशिमा के व्यापक सबकों से सीखना चाहिए- बिनोय विसवार्म, केरल के पूर्व मंत्री और भाकपा नेता। हम पूरी तरह से कूडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ साहसी संघर्ष का समर्थन करते हैं। डेनमार्क में परामणु ऊर्जा के खिलाफ प्रतिरोध मजबूत तथा अच्छी तरह से संगठित था और आज डेनमार्क परमाणु ऊर्जा से मुक्त है। क्रिसटियन जुहल– संसद सदस्य तथा प्रवक्ता, द रेड ग्रीन एलायंस, डेनमार्क।

कूडनकुलम परमाणु संयंत्र फुकुशिमा बनने के जैसा है। यह तमिलों, सिहली और भारतीयों के नरसंहार होने का इंतजार जैसा है। कूडानकुलम से श्रीलंका की दूरी बस पत्थर फेंकने जैसी दूरी है। हम श्रीलंका के लोग, तमिल, सिंहली, तमिल बोलने वाले मुसलमान कूडानकुलम तथा इंदिताकराई के अपने भाई बहनों के साथ इसका विरोध करते हैं। –सिरीतंगा जयसूर्या राष्ट्रपति के पूर्व उम्मीदवार, महासचिव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी श्री लंका।

हम सहमत हैं कि विकास के लिए बिजली की जरूरत है। लेकिन मुख्य सवाल यह है कि हमने ऊर्जा के उत्पादन के लिए सभी सुरक्षित विकल्पों का इस्तेमाल किया है, इससे पहले की हम परमाणु ऊर्जा के बारे में सोचे। यह सवाल अपने आप में बहुत संदेहों की तरह ले जाता है। –ऐनी राजा, राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य, भाकपा।

लालची परमाणु लॉबी की शक्ति को तोड़ने के लिए जनदबाव के जरूरत है। कूडानकुलम महत्वपूर्ण संघर्ष है यूरोप में ट्रेड यूनियन तथा परामणु विरोधी आंदोलन के भीतर आपके संघर्ष का प्रचार प्रसार करेन के लिए मैं अपनी अधिकतम कोशिश करूंगा। -प्रख्यात राजनीतिज्ञ पाल मर्फी, आयरलैंड की सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से यूरोपियन संसद के सदस्य हैं।

सोशलिस्ट अलटरनेटिव (एसएवी) जर्मनी, कूडानकुलम के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर राज्य के दमन तथा आतंक की निन्दा करती है। हम पुलिस बल की तत्काल वापसी की मांग करते हैं। हम मांग करते हैं कि सरकार परमाणु विरोधी आंदोलन की समझदार आवाज पर ध्यान दे तथा इस हत्यारी परियोजना को जो कि लोगों को वनस्पति और जीवों, कमजोर पर्यावरण अन्य प्रजातियों को खतरे में डाल रही है, पर तुरंत रोक लगाये। –लूसी रेडलर, सोशलिस्ट अलटरनेटिव (एस ए वी) जर्मनी की प्रवक्ता।

प्रदर्शनकारियों  पर क्रूर व्यवहार को सरकार तत्काल रोके और बिना किसी देरी के इस संयंत्र को बंद करे। अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लिए निवेश को मोड़ा जाना चाहिए। सारे विकास को सिर्फ कुछ लोगों के फायदे के लिए नहीं बल्कि जनकेन्द्रित होना चािहए। तमिल एकजुटता अभियान कूडनकुलम के परमाणु विरोधी संघर्ष का समर्थन जारी रखेगा तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके समर्थन अपना योगदान देता रहेगा। –टीयूसेनन, तमिल एकजुटता अभियान का अन्तर्राष्ट्रीय समन्वयक।

मैं कूडानकुलम के लोगों तथा जहां कही भी परमाणु रियक्टरों के खिलाफ विरोध हो रहा है उनके साथ एकजुटता व्यक्त करती हूं। दुनिया में इसकी जरूरत नहीं है। हम इसके लम्बी अवधि के खतरों को नहीं समझते और सभी नये प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए। –मल्लिका साराभाई, भारतीय शास्त्रीय नृत्यंगाना और सामाजिक कार्यकर्ता।

परमाणु शक्ति मानवता के खिलाफ है। मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ है कि वह परमाणु शक्ति को संभाल सकें। स्रोत के स्तर पर परमाणु ऊर्जा, परमाणु हथियार से अलग नहीं है। प्रत्येक राष्ट्र का परमाणु हथियार तैयार करने का गुप्त एजेंडा है। परमाणु शक्ति को न कहो। – कविनगर थमराई

कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम डालेगा। इसके साथ ही इस पूरे क्षेत्र के मुछआरों समुदायों की आजीविका का बड़े पैमाने पर नुकसान होगा। परमाणु दुर्घटना की लम्बी अवधि के जोखिम अप्रत्याशित हैं। –डॉ. विनायक सेन, सदस्य स्वास्थ्य पर योजना आयोग की संचालन समिति।

आपदा प्रबंधन योजना बिना कूडनकुलम या कोई भी परमाणु रिएक्टर में आपदा के लिए खुला निमंत्रण है यह एक निश्चित जोखिम है। एक परमाणु रिएक्टर संभवतः एक परमाणु बत से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि 1 हजार मेगावाट रिएक्टर नागासाकी में गिराये गये 200 परमाणु बमों के बराबर विकिरण की क्षमता रखता है। –डॉ. एम.पी. परमेश्वरन, परमाणु इंजीनियर, के एसएसपी

कूडनकुलम में परमाणु पागलपन बंद करो, ग्रह की रक्षा करो। -आनंद पटवर्द्धन

इदिंतकराई के जो गांव वाले कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के विरोध में लड़ रहे हैं उनके साथ मैं अपनी पूरी एकजुटता के साथ खड़ी हूं। मार्च 2011 में जब फुकूशिमा रिएक्टर भूकंप के द्वारा क्षतिग्रस्त हुआ तब में जापान में थी। आपदा के बाद लगभग हर देश जो परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा है उन्होंने ऐलान किया कि वह अपनी परमाणु नीति बदल देंगे, सिवाय भारत के। -अरूंधति राय लेखिका


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