संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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किसान आंदोलन

किसान मजदूर आयोग ने जारी किया किसान एजेंडा 2024

दिल्ली, 19 मार्च 2024 को किसान मजदूर कमिशन ने दिल्ली के प्रेस क्लब में किसानों के संकट पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस प्रेस वार्ता में जाने-माने पत्रकार पी. साई नाथ के साथ नवशरण सिंह, बीजू कृष्णन, हन्नान मोल्ला, अशोक धावले, बी. वेंकट, जी.एस. गोरिया और सत्यवान विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े हुए नेताओं ने भी अपनी बाते रखीं। प्रेस को संबोधित…
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लखीमपुर खीरी हत्याकांड का एक साल : आज भी पीड़ितों को इंसाफ़ का इंतज़ार

एसकेएम ने मृतक 4 किसान और एक पत्रकार की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया है। इसी तरह देशभर में किसान जगह-जगह…

राकेश टिकैत पर हमला : किसान संगठन अपने नेताओं की सुरक्षा का इंतजाम स्वयं करें

राकेश टिकैत पर स्याई फेंके जाने की घटना की न्यायिक जांच कराए कर्नाटक सरकार सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग -डॉ…

मध्य प्रदेश : मुलताई पुलिस गोलीकांड के 24 वर्ष बाद भी जारी है किसान आंदोलन

12 जनवरी, 1998 का दिन किसानों की स्मृति में अमिट छाप छोड़ गया क्योंकि इस दिन मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अतिवृष्टि से फसल नष्ट हो जाने के कारण मुआवजा और फसल बीमा की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे अहिंसक किसानों पर बर्बर गोली चालन किया था। जिसमें 24 किसान शहीद हुए, 150 किसानों को गोली लगी थी। 250 किसानों पर 67 फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज किए गए…
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संघर्ष का टेम्पलेट जो किसान आंदोलन ने दिया है

संयुक्त किसान मोर्चा ने 378 दिन के बाद अपने आंदोलन को स्थगित करते हुए कहा कि ‘लड़ाई जीत ली गई है, लेकिन किसानों के…

किसान आंदोलन के पूरे 13 महीने का ब्योरा : कब, कहाँ, क्या हुआ

‘378’... ये महज़ एक संख्या नहीं बल्कि वो दिन और राते हैं, जो हमारे देश के अन्नदाताओं ने दिल्ली की सड़कों पर गुज़ारी…

किसानों को न्याय दिलाने का ऐतिहासिक आंदोलन के 11 माह पूरे : दशा और दिशा

यूं तो भारत में किसान आंदोलन का इतिहास आजादी के आंदोलन से साथ जुड़ा हुआ है। आजादी के बाद भी किसान आंदोलन लगातार चलते ही रहे हैं लेकिन पिछले वर्ष 26 नवंबर 2020 से शुरू होकर 26 अक्टूबर 2021 को 11 माह पूरे करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के वर्तमान आंदोलन ने देश में ही नहीं दुनिया में एक नया इतिहास रचा है। इसे दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा आंदोलन माना…
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उत्तर प्रदेश : बेचन यादव की आत्महत्या ने उजागर की पूर्वांचल में किसानों की तबाही-…

आजमगढ़: रिहाई मंच ने आजमगढ़ के करुई गांव में कर्ज के बोझ से दबे किसान बेचन यादव की आत्महत्या के बाद मृतक के परिजनों…

कृषि बिल के खिलाफ किसानों ने किया मई के पहले सप्ताह में संसद कूच का ऐलान

संयुक्त किसान मोर्चा ने 31 मार्च 2021 को अपना बयान जारी करते हुए कहा कि “लंबे समय से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे…

कृषि-संकट मानवता का संकट है, वक़्त आ गया है कि देश भर के वंचित अब संसद घेर लें!

पी साईंनाथ का यह आलेख पीप्लस आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया  पर 22 जून 2018 पोस्ट किया गया  था जो आज भी प्रासंगीक है. भारत का कृषि संकट अब खेती-किसानी के पार जा चुका है. अब यह समाज का संकट बन चुका है. संभव है कि यह सभ्‍यता का संकट हो जहां इस धरती पर छोटे किसानों और खेतिहर मजदूरों का सबसे बड़ा समूह अपनी आजीविका को बचाने की जंग लड़ रहा हो. कृषि संकट अब…
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