.
राज्यवार रिपोर्टें
नियमगिरी, सरकार और जनाक्रोश
उड़ीसा सरकार शुरू से ही वेदांता कंपनी के पक्ष में ग्राम सभा से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पैरवी करती आ रही है जबकि स्थानीय ग्रामवासी, आदिवासी अपनी जमीन, जंगल, नदी, झरने पहाड़ बचाने की लड़ाई लगातार लड़ते आ रहे हैं. अब 18 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आया कि वेदांता कम्पनी को उड़ीसा के नियामगिरी की पहाड़ियों में बॉंक्साइड के खनन के…
और पढ़े...
मारूति मजदूरों के आन्दोलन पर सरकारी दमन
जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिये चल रहे संघर्षों में जिस तरह संघर्षरत जनता और
उनके समर्थकों को चुन-चुन कर पकड़ा…
उत्तराखंड को बचाने की जद्दोजहद
उत्तराखंड को भारत का ''वाटर टैंक'' कहा जाता है और अब वहां 500 से अधिक बांधों के निर्माण की योजना बन रही है। वैसे…
चुटका परमाणु परियोजना के विरोध में धरना
चुटका परमाणु परियोजना और भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के खिलाफ अनेक जन-संगठनों, राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों ने भोपाल में 18 मई 2013 को एक-दिवसीय धरना और जन-सभा का आयोजन किया। इन संगठनों ने मंडला जिले के चुटका व आसपास के गांवों में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विरोध करते हुए राज्यपाल को ज्ञापन (ज्ञापन सलंग्न हैं) सौंपा जिसमें यह मांगे…
और पढ़े...
खतरों के बावजूद सरकार हम पर परमाणु संयत्र थोप रही है -चुटका परमाणु संघर्ष समीति
विकास के नाम पर बने बांध से विस्थापन का दंश झेल चुके चुटका, टाटीघाट, कुण्डा और अन्य गांवो के बहादूर और विस्थापन -…
चुटका परमाणु पॉवर प्लांट पर्यावरणीय प्रभाव पर जन-सुनवाई रोकने में राज्यपाल पहल…
जबलपुर। चुटका परमाणु विद्युत परियोजना मध्यप्रदेश के पांचवीं अनुसूचि वाले क्षेत्र में प्रस्तावित की जा रही है।…
पुलिस की बर्बरता: कहानी इतनी आसान नहीं
देश के आमजन पर पुलिस बर्बरता सिर्फ सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया में हुई धांधली की वजह से है या फिर इसका सत्तावर्ग के आर्थिक-राजनीतिक हितों से भी कुछ रिश्ता है? पुलिसिया दमन को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से आगे जाकर जल-जंगल-ज़मीन और संसाधनों के हक की लड़ाई और इस सम्बन्ध में पुलिस की भूमिका का वृहत्तर सन्दर्भ बयान करता आदियोग का लेख;
सर्वोच्च…
और पढ़े...
देश भर में चल रहे जल, जंगल, ज़मीन, अस्मिता और अधिकारों के संघर्षों पर सरकार लगाम…
भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा इंडियन सोशल ऐक्शन फोरम (इंसाफ) का विदेशी अनुदान पंजीकरण (एफसीआरए) अगले 180…
कुडनकुलम: सर्वोच्च न्यायालय में जनता की अवमानना
अपने हक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे देश के लोगों का इस तरह के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाना…
प्राकृतिक संसाधनों पर हक किसका ?
गुजरी 18 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आया कि वेदांता कम्पनी को उड़ीसा के नियामगिरी की पहाड़ियों में बॉंक्साइड के खनन के
लिए वहॉं की ग्राम सभा की सहमति लेनी होगी परंतु हम अपने देश में देखे, तो पिछले दो दशकों से बड़ी-बड़ी कॉंरपोरेट कम्पनियॉं
यहॉं की भूमि, नदी, खदान, पर्वत, समुद्र सब पर कब्जेदारी के लिए सीधे भारत
सरकार से करार कर रही…
और पढ़े...