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राज्यवार रिपोर्टें
करछना से इलाहाबाद तक किसानों का पदल मार्च
जिलाधिकारी को ज्ञापन देते किसान भूमि अधिग्रहण के विरोध में करछना इलाहाबाद (उ0प्र0) में पुनर्वास किसान कल्याण सहायता समिति, बिहान, मजदूर किसान यूनियन के सयुक्त आह्वान पर आज 21 नवम्बर 2012 को कचहरी, करछना से इलाहबाद तक पदल मार्च निकला गया. जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया. किसानों ने केन्द्र एवं प्रदेश सरकार…
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यह साम्प्रदायिक नहीं, हिंदूवादियों की इकतरफा हिंसा थी
फैजाबाद में हुई हिंसा को लेकर पिछली 18 और 19 नवम्बर को छह सदस्यीय स्वतंत्र जांच दल ने पूरे मामले की छानबीन की।…
नर्मदा: पुनर्वास में भ्रष्टाचार
नर्मदा नदी पर निर्माणाधीन सरदार सरोवर और इंदिरा सागर बांध मे विस्थापितों के पुनर्वास के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार…
आखरी सांस तक लड़ती रहूंगी : जेल से दयामनी बारला का इंटरव्यू
झारखंड में किसानों की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला विगत एक महीने से जेल में है। उन पर भ्रष्टाचार और भूमि अधिग्रहण के विरूद्ध आंदोलन के दौरान सरकारी काम में दखलअंदाजी का आरोप है। दयामनी की रिहाई की मांग को लेकर पत्रकार, लेखक और कलाकार सड़क पर उतर आए हैं। राज्य भर में उनकी रिहाई को लेकर…
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दयामनी बारला: जेल से लिखे पत्र को सुनिये
आज रांची के (ए. के. राय ) सेशन कोर्ट में दयामनी बारला की जमानत अर्जी पर चोथी बार सुनवाई बेनतीजा रही. अगली सुनवाई 21…
कटनी: बर्बर दमन व छल के बीच जारी है प्रतिरोध
मध्य प्रदेश के कटनी जिले में भूमि अधिग्रहण के विरोध में धरना दे रहे किसानों पर बर्बर पुलिसिया दमन रूकने का नाम…
मुलताई गोलीकाण्ड :डा. सुनीलम और अन्यों को हुई उम्रकैद, फैसलों की समालोचना
डा. सुनीलम और अन्यों को जो सजा वर्ष 1998 के मुलताई पुलिस फाइरिंग केस में दी गई है, जिसमें 24 किसानों की पुलिस की गोली से जान चली गई थी. पुलिस ने डा. सुनीलम और अन्य के खिलाफ 66 मामले दर्ज किए, जिनमें से डा. सुनीलम पर 18 मामलों में मुकदमे चल रहे है और तीन मामलों में उन्हें दोषी करार देते हुए अदालत ने केस क्रमांक 277, 278 और 280 में 18…
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झारखण्ड के 12 साल: क्या खोया, क्या पाया
आज 15 नवंबर 2012 को अलग झारखण्ड राज्य के गठन को 12 साल पूरे हो जायेंगे। इस मौक़े पर आज रांची के मोरबादी मैदान…
12 साल के सफर में टूटे सपने
सपनों की भूलभुलइया से निकल कर वास्तविकता के कड़वे धरातल पर उतर कर झारखण्ड राज्य अपनी उम्र के 13वें साल में पहुंच…
कुछ का विकास, बाकी का सत्यानाश
अलग राज्य के तौर पर झारखण्ड के पिछले 12 सालों पर नजर डालते हुए सवाल उठता है कि इसका फल किसकी झोली में गया और कौन उससे वंचित हो गया या वंचित कर दिया गया? सीधे कहें तो छोटा सा हिस्सा वह है जिसने पाया जबकि बड़े हिस्से ने केवल खोया- अपना बहुत कुछ। पेश है स्टेन स्वामी की रिपोर्ट;
पहले उनके बारे में जिन्हें अलग झारखण्ड राज्य बनने से बहुत कुछ मिला।…
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