संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

जन विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के खिलाफ किसान संगठन एकजुट : 4 नवंबर 2019 को जंतर मंतर पर बड़ा प्रदर्शन

मेगा व्यापार सौदा के खिलाफ सभा और धरना प्रदर्शन

जंतर मंतर, नई दिल्ली:

4 नवंबर 2019।

12  बजे से

मोदी सरकार क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के तहत 15 अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने जा रही है जिसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव भारतीय किसानों पर होगा। इस मेगा मुक्त व्यापार समझौते (आरसीईपी) के खिलाफ देश भर में राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन के तहत अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने 4 नवंबर 2019 को जंतर मंतर पर एक विरोध सभा और धरना का आयोजन करने का ऐलान किया है।

4 नवंबर 2019 को प्रधानमंत्री मोदी बैंकॉक में आरसीईपी शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे है जिसमे 16 देशों के प्रमुख यह तय करेंगे कि समझौते पर हस्ताक्षर करना है या नहीं।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का मानना है कि भारत का कृषि क्षेत्र जो पहले से ही संकट से जूझ रहा है, इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से देश के किसानों की तबाही और अधिक होगी।

हम सभी लोकतांत्रिक, प्रगतिशील समूहों और नागरिकों से इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए अपील करते है और सरकार को स्पष्ट संदेश देते हैं कि इस विनाशकारी समझौते पर हस्ताक्षर न करें।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) क्या है?

  • यह एक मेगा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है। इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इसके सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को उदार एवं सरल बनाना है।
  • इसमें शामिल कुल 16 देशों में आसियान के 10 सदस्य देश तथा 6 अन्य देश ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड हैं।
  • सदस्य देश : ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम।
  • इनके अलावा, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड सहभागी (Partner) देश हैं।
  • वस्तुतः आरईसीपी वार्ता की औपचारिक शुरुआत 2012 में कंबोडिया में आयोजित 21वें आसियान शिखर सम्मेलन में शुरू हो गई थी।
  • आरईसीपी को ट्रांस पेसिफिक पार्टनरशिप (TPP) के एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
  • आरसीईपी में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 25%, वैश्विक व्यापार का 30%, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का 26% (एफडीआई) तथा कुल आबादी का 45% निवेशित है।

 

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