संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

भूमि अधिग्रहण तथा प्रस्तावित योजना के बारे में जानकारी लेने की कोशिश सूचना अधिकार की दश: एक भुक्त भोगी का अनुभव

मित्तल विरोधी आंदोलन की जुझारू नेता, स्वतंत्र पत्रकार तथा आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की नेता दयामनी बारला के इस बांध की परियोजना के संम्बंध में ’सूचना पाने’ के प्रयासों के अनुभव कुछ इस प्रकार के हैं- इस योजना के बारे में जल संसाधन विभाग तथा विशेष भू-अर्जन विभाग क्या कहता है-यह हैरान तथा चौंकाने वाली बात है। इसको समझने के लिए मैंने 5 फरवरी 2011 को संबंधित विभाग से जन सूचना अधिकार 2005 के तहत उक्त डैम के बारे में कई जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवेदन देते समय संबंधित कर्मचारियों तथा अधिकारियों ने मांगी गयी जानकारी के बारे जो बातें कहीं-उसे मैं हूबहू वैसे ही रख रही हूं-ताकि इस राज्य में क्या हो रहा है-इसकी जानकारी हर आम व्यक्ति को हो।

जब मुख्य अभियंता श्री आर एस तिग्गा से मिलने गयी-तब इन्होंने कहा कि जनविरोध के कारण ही आज तक यह काम रूका हुआ था। उनसे जब मैंने पूछा कि-डैम कितना बड़ा होगा-इस पर जवाब था, डैम तो बड़ा ही होगा। पानी का जमाव भी ज्यादा ही होगा। इन्होंने कहा कि अभी तक इसमें कोई भी काम नहीं किया गया है। क्योंकि जमीन अधिग्रहण अभी तक हुआ नहीं हैं और पहले तो जमीन का पैसा किसानों को दिया जाएगा, इसके बाद ही जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। मैंने सवाल किया- लेकिन वहां तो काम शुरू हो गया है-वो कौन कराया है ? -इसका जवाब था, इसकी जानकारी नहीं है, और ऐसा कैसे होगा-बिना जमीन लिये बांध कैसे बनाया जाएगा ?
सूचना के अधिकार के तहत दिये आवेदन को देखने के बाद अधिकारी ने सुझाव दिया कि-216 नं. कमरा में सूचना अधिकारी बैठते हैं वहां जाकर दे दीजिए। वहां पहुंचकर सूचना पदाधिकारी श्री आर डी सिंह-अंडर सेक्रेटेरी से मिली, आवेदन दिये, तब इसमें कुछ सुधारने की सलाह देते हुए बोले-यह डैम कहां बन रहा है? किसके द्वारा बनाया जा रहा है? इस बात का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए-तभी सूचना की सही जानकारी समय पर मिलेगी। उन्होंने सवाल किया कि यह काम कहां से हो रहा है ? मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था। श्री सिंह ने सुझाव दिया-पहले खूंटी उपायुक्त के पास लिखिये-वही बतायेगें। और हां-यह प्रखंड का मामला है-इसलिए आप प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास लिखिए-वे भी आप को जानकारी दे सकते हैं। इस संबंध में श्री सिंह समझाते हुए बोले-इस तरह का काम एक तो जिला उपायुक्त के स्तर पर होता है, दूसरा-ग्रामीण विकास विभाग से, तीसरा-लघु सिंचाई विभाग से। श्री सिंह आगे बोले-आप को पता होना चाहिए की यह योजना कहां से चल रही है तब इसी आधार पर आवेदन को वहीं देना चाहिए।
श्री सिंह ने इसकी जानकारी लेने के लिए पहले जल संसाधन विभाग खूंटी के एक्सक्यूटिव इंजिनियर से फोन कर पूछा कि कर्रा प्रखंड के छाता नदी में जो डैम बन रहा है-वह आप के यहां से हो रहा है? उधर से इसकी जानकारी नहीं है का जवाब मिलने के बाद श्री सिंह ने रांची धु्रवा स्थित जलसंसाधन विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर को फोन किया। उनसे बात करते समय यह पता चला कि कांटी जलाशय योजना के नाम पर यह उनके यहां से हो रहा है। तब श्री सिंह बोले -हां यहां आवेदन में आप काँटी का नाम जोड़िये। तब इन्होंने कहा-कि आप उनके नाम से आवेदन कीजिए-लेकिन इन्होंने यह भी कहा अगर आप यहां ही देना चाहती हैं तो दे दीजिए मैं इसको वहां भेज देता हूं। तब मैंने आवेदन श्री सिंह को सौंप दिया।
आवेदन में -डैम में कितना पेड़-पौधा डूबेगा इसकी जानकारी भी मांगी गयी है-इस पर अधिकारी बोले- इसकी जानकारी भू-अर्जन विभाग ही दे सकता है। इसी के आधार पर मैंने विशेष भू-अर्जन विभाग झारखंड सरकार के नाम आवेदन बनाकर जानकारी मांगी-
  • उपरोक्त परियोजना के लिए 10 दिसंबर 2010 को  भूमिपूजन हुआ इसके पहले आप ने इस परियोजना के लिए कितनी जमीन का अधिग्रहण किया है।
  • जिसकी जमीन जा रही है-उस जमीन की क्या कीमत देने के लिए ग्रामीणों के साथ आप का   एग्रीमेंट हुआ है-इसकी प्रति उपलब्ध करायें।
अधिकारी यह भी बोले कि -जहां तक विस्थापन का सवाल है तो गांव को विस्थपित कर डैम नहीं बनाया जाएगा। और यह काम तभी होगा जब-गांव वालों की सहमति होगी, जबर्दस्ती नहीं किया जा सकता है।
आवेदन लेकर बिशेष भू-अर्जन विभाग पहुंची। कार्यालय में संजय भरती कानूनगो थे। उनके सामने आवेदन रखी। आवेदन देखते ही बोले-अभी तो इसमें कुछ भी काम नहीं शुरू किया गया है। आप ने जो जानकारी मांगी हैं-अभी कुछ भी नहीं मिलेगी। अभी तो जमीन देखी ही नहीं हैं किस तरह की जमीन है-तो जमीन का कीमत कैसे तय करेगें। वहां जायेंगे, नापी करेगें तभी बता पायेंगें कि कितनी जमीन जायेगी और किसकी जमीन जायेगी। कौन सा प्लाट जाएगा -अभी नहीं बता पायेंगे। इन्होंने बताया-भू-अर्जन विभाग का काम है अधियाची विभाग द्वारा जो भूमि ली जाती है उस संबंधित जमीन की नापी करा कर भू-अर्जन की धाराओं के तहत संबंधित रैयतों को मुआवजा राशि भुगतान करना। इन्होंने कहा-आप डी पी आर मांगे हैं-नहीं दे सकते हैं। अभी नापी भी शुरू नहीं किये हैं तो कहां से देगें। अभी तो वहां गये ही नहीं हैं। अभी खतियान का काम ही शुरू हुआ है कि किस किस गांव का खतियान है उसको देख रहे हैं। इन्होंने बताया कम से कम यह सब करने के लिए छह माह या साल भर का समय लगेगा। मैंने सवाल किया-लेकिन वहां तो काम शुरू किया गया है-इस पर इन्होंने कहा-नहीं जानते हैं और कैसे शुरू होगा-जमीन का तो नापी ही नहीं हुआ है। इन्होंने बताया कि-10 फरवरी 2011 को एरिया में जमीन नापने के लिए लोग जायेंगे।
जब आवेदन को रिसीव कराने के लिए दूसरे कमरा में ले जाया गया-तब मुझे वहां बुलाया गया। वहां आवेदन को देखते हुए-एक कर्मचारी ने कहा-आप ने जो भी    जानकारी मांगी हैं इसमें तो आप को कुछ भी जानकारी नहीं मिलेगी-कारण कि अभी तब इसमें कोई कार्यवाही नहीं शुरू गया है, इसलिए नहीं  बता पाएंगे कि किसकी जमीन जाएगी-कितनी जमीन जाएगी। उन्होंने अपना नाम-पद पूछने पर आपति जताते हुए-कहा, आप को नाम जानने की क्या जरूरत है? मैंने कहा-आप राज्य के नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं-आपको जनता के लिए बैठाया गया है यहां। यह जगह राज्य की जनता की जवाबदेही-निभाने की है। इस पर इन्होंने अपना नाम-बिजय कुमार सिंह बताया। इनके साथ बात कर ही रही थी तब तक-बड़े बाबू श्री मनींन्द्र कुमार आये। वे आवेदन देखते ही बोले-इसमें आप को अभी कुछ भी नहीं मिलेगा, इसलिए कि-अभी इसमें कोई काम नहीं शुरू किया गया है। मैं बोली-जो भी है आप वही लिखकर दीजिए। इस पर श्री कुमार ने कहा-मैं अरविंद केजरीवाल का सम्मान करता हूँ। एक आइ ए एस की नौकरी छोड़कर सूचना अधिकार के लिए आंदोलन चलाये। मैं जरूर आप को समय पर जानकारी उपलब्ध कराउंगा, जब भी मैडम आप आयेंगी, मैं आप का काम कर दूंगा। जब मैं बड़ा बाबू से पूछी-नियमतः तो जमीन अधिग्रहण के बाद ही काम शुरू किया जाता है-इस पर इन्होंने कहा-जी हां, पहले जमीन अधिग्रहण किया जाता है।
9 फरवरी 2011 को मै खूंटी के उपायुक्त श्री राकेश कुमार जी से उनके चेंबर में मिली तथा पूछा कि 18 दिसंबर तक आप को जबड़ा डैम के बारे किसी तरह की जानकारी नहीं मिली थी। अब एक माह हो गया आप को इसके बारे में कोई जानकारी मिली है? इसके जवाब में उपायुक्त साहब ने कहा- नहीं अभी भी कोई जानकारी नहीं मिली है. विदित हो कि डैम गैरकानूनी तरीके से ठेकेदार, दलाल और असामाजिक तत्वों की मिलीभगत से बनाया जा रहा है..इसे रोकने के लिए लिखित मांग की गयी है। साथ ही मांगपत्र की प्रति  पुलिस अधीक्षक को भी दी गयी है।
जैसा की ठेकेदार समर्थकों ने मुझे फ़ोन कर  कहा था. की अब हम लोग सर्वे बिभाग को गाँव में घुसा दे रहे हैं..यही बात बिशेष भू-अर्जन विभाग ने भी कहा था की 10 फरवरी को क्षेत्र में जायेंगे..बिदित हो की 10 फरवरी से सर्वे के लिए गाड़ी गाँव में आ रही है..ग्रामीण उनको रोकने के लिए हजारों की संख्या में निकल रहे हैं…ग्रामीणों को देखते ही गाड़ी वाले भाग जा रहे हैं.  11, 12, 13 मार्च 2011 तीनों दिन यही होता रहा। 14 को रविवार होने के कारण सर्वे करने वाले लोग नहीं आये….लेकिन ग्रामीण….सजग हैं।  -दयामनि बारला, राँची से
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