संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

सबसे ज्यादा काम, सबसे कम दाम और सबसे कम सुरक्षा ये है महिला कामगारों की स्थिति : कविता कृष्णन

‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘श्रमेव जयते’ नारे का पर्याय है- श्रम का सम्मान नहीं, श्रम की पहचान नहीं। दरअसल मोदी का ‘मेक इन इण्डिया’ और ‘श्रमेव जयते’ श्रम कानूनों को कमजोर करके श्रम के शोषण के लिये ताले खोलने का अभियान है जिससे काॅरपोरेट मनमाने तरीके से श्रम की लूट कर सकें। ‘अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन’ (एपवा) की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने यह बात 7 दिसम्बर 2014 को ‘एक्टू’ द्वारा आयोजित ‘महिला कामगारों की राज्य स्तरीय कार्याशाला’ को सम्बोधित करते हुए कही।

हल्द्वानी में सत्यनारायण मंदिर धर्मशाला के सभागार में कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में कविता कृष्णन ने कहा कि, ‘महिला कामगारों का श्रम काम के सभी क्षेत्रों में -सबसे ज्यादा काम, सबसे कम दाम और सबसे कम सुरक्षा का पर्याय बन गया है।’ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ,‘ग्रामीण स्वास्थ्य खासतौर पर महिला और बच्चों के स्वास्थ्य की पूरे देश में दुर्दशा है और इस दुर्दशा को सुधारने का पूरा काम आशा-आंगनबाड़ी कर्मियों पर डाल दिया गया है। परंतु जो पहचान और जो अधिकार उन्हें मिलने चाहिये उससे वे वंचित की जा रही हैं।’

कविता कृष्णन ने कहा कि , ‘आशा-आंगनबाड़ी को सरकारी कर्मचारी न घोषित करने के पीछे सरकार यह तर्क दे रही है कि जो सेवा का काम आप घर में मुफ्त करते हो वो काम समाज की सेवा के रूप में आप मुफ्त में ही करो। ये शर्मनाक है और महिला श्रम शक्ति का अपमान है।’

पूरे देश में बढ़ रही महिला हिंसा के सवाल पर महिला आंदोलन की प्रखर नेता कविता कृष्णन ने कहा कि, पूरे देश में महिला हिंसा की रफ्तार जो नहीं थम रही है उसका एक मुख्य कारण ताकतवर लोगों को सजा न होना, उनको बख्श दिया जाना है। सरकार द्वारा महिला हिंसा की रोकथाम व सुरक्षा के लिये जो उपाय होने चाहिये थे- जैसे कामकाजी महिलााओं के लिये शेल्टर, संकट के समय के लिये केन्द्र के उपाय दूर -दूर तक नहीं दिख रहे हैं। जो योजनाऐं थी भी उनको बजट की कमी का रोना रोकर कम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, ‘उत्तराखण्ड राज्य में भी महिलाओं और खासकर बच्चियों के साथ उत्पीड़न और हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में अक्सर परिचित या सगे सम्बंधी लिप्त पाये गये हैं परंतु उनकी पहचान सामाजिक कारणों से उजागर नहीं हो पाती । बच्चों को कैसे इससे उबारा जाय इसकी भी कोई व्यवस्था नहीं है.’

कार्यशाला को ‘एक्टू‘ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजा बहुगुणा, प्रदेश महामंत्री के0के0 बोरा, एक्टू की राष्ट्रीय परिषद सदस्य कमला कुंजवाल, सरसवती पुनेठा, रीता कश्यप, जानकी गुरूरानी, मीना आर्या, कुलविंदर कौर, पदमा प्रथोली, कमला बिष्ट, कमला बधानी, ज्योति उपाध्याय, मीरा कश्यप, लीला ठाकुर, राजरानी, शमा, मधुबाला वर्मा, बीना नागर, लीला पाण्डे, चम्पा बिष्ट, इन्द्रा नेगी, मंजू जोशी, पारूल भट्ट, रमा गैड़ा, प्रभा नेगी, किरन महरा आदि ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान बहादुर सिंह जंगी,कैलाश जोशी,विपिन शुक्ला, ललित मटियाली, रूबी, कमल जोशी भी मौजूद रहे।

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