संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन

दयामनी बारला: जेल से लिखे पत्र को सुनिये

आज रांची के (ए. के. राय ) सेशन कोर्ट में दयामनी बारला की जमानत अर्जी पर चोथी बार सुनवाई बेनतीजा रही. अगली सुनवाई 21 नवम्बर को होगी. 16 अक्टोबर से अबतक एकके बाद एक तीन फर्जी केसों में दयामनी जी को फंसाया गया है. साफ़ तौर पर यह उनको नगड़ी आंदोलन से अलग-थलग कर ज़मीन हथियाने की साजिश है. यह विडियो सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला के जेल से लिखी…
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कटनी: बर्बर दमन व छल के बीच जारी है प्रतिरोध

मध्य प्रदेश के कटनी जिले में भूमि अधिग्रहण के विरोध में धरना दे रहे किसानों पर बर्बर पुलिसिया दमन रूकने का नाम…

12 साल के सफर में टूटे सपने

सपनों की भूलभुलइया से निकल कर वास्तविकता के कड़वे धरातल पर उतर कर झारखण्ड राज्य अपनी उम्र के 13वें साल में पहुंच गया है। कुछ के चेहरे पर विकास की मुस्कान है तो अधिकतर के चेहरे पर विनाश और अत्याचार की उदासी है? यह बड़ा सवाल है कि पिछले 12 सालों में झारखण्ड ने क्या खोया और क्या पाया? खास कर महिलाओं को क्या मिला? इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि…
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दयामनी बारला की रिहाई के लिए दिल्ली में दस्तक: छात्र-युवाओं ने झारखंड भवन पर किया…

झारखंड ट्राइबल स्टुडेंट्स असोसिएशन (जे.टी.एस.ए.), ऑल इंडिया स्टुडेंट्स असोसिएशन (आइसा) तथा डेमोक्रेटिक स्टुडेंट्स…

अन्याय की बुनियाद पर न्याय मांगते झारखण्ड के आदिवासी

विस्थापन विरोधी एकता मंच और अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के बैनर तले पूर्वी सिंहभूम के पोटका से रांची तक, 2 नवम्बर…

दयामनी बारला का अंतहीन संघर्ष: सरकार गरीबों से डरती है, कोर्ट को आगे करती है

आज रांची के सेशन कोर्ट में आदिवासी नेता दयामनी बारला के मामले पर चली सुनवाई में फैसला टाल दिया गया है और केस की अगली सुनवाई 14 और 17 नवंबर को तय की गयी है. इसी बीच झारखंड उच्च न्यायालय ने नगड़ी आंदोलन के दौरान 4 अक्टूबर को रांची में उच्च न्यायालय के पुतलादहन के एक मामले में उदयामनी बारला और सालखन मुर्मू व अन्य से यह जवाबतलब किया गया है कि उनपर…
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झारखण्ड: जनद्रोही क़ानूनों और राज्य दमन के ख़िलाफ़ आंदोलन तेज होगा

गुजरी 16 अक्टूबर से एक के बाद एक फर्जी केस लगाकर दयामनी बारला को झारखंड पुलिस न केवल जेल में रखे हुए है बल्कि…

छत्तीसगढ़ को लूटने का राज्योत्सव

अदम के शेरअदम का मतलब है वंचित। अदम गोंडवी सचमुच पूरी उम्र अभाव और ग़रीबी में जिये- अदम थे, अदम ही रहे। वे कुल पांचवां दर्ज़ा पास थे लेकिन कहना होगा कि ज़िंदगी और समाज के सबसे बड़े विश्वविद्यालय से उन्होंने शायरी में पीएचडी हासिल की थी और इसीलिए बग़ावत की शायरी के आला फ़नकार बन गये। पिछले साल दिसंबर में उन्होंने गंभीर बीमारी से जूझते हुए अपनी आख़िरी सांस…
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