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भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन
दयामनी बारला : फौलादी इरादों वाली भारतीय महिला
दयामनी बारला को आज जमानत मिल गई है इस मोके पर हमें जश्न मनाने से ज्यादा इस बात पर गौर करना चाहिए कि सामाजिक कार्यकर्ताओं, मनावाधिकर्मियों और दुसरे संघर्षशील साथियों को फर्जी मुकदमों में फ़साये जाने का ये सिलसिला और दमन चक्र कैसे रुके. क्योंकि मामला किसी एक दयामनी का नहीं है... उन्हें छह साल पुराने मामले में उन्होंने गुज़री 16 अक्टूबर को आत्मसमर्पण…
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दयामनी जेल में
सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला इन दिनों 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रांची जेल में हैं। छह साल पुराने मामले…
कोयला सत्याग्रह: ज़मीन हमारी तो कोयला भी हमारा
गांधी जयंती के मौक़े पर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कोई 14 गांवों के किसानों ने कोयला क़ानून तोड़ने का साहसी…
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिव के नाम जनसुनवाई पर आपत्ति पत्र-
झारखंड के पोटका प्रखंड के लोग पिछले सात वर्षों से भूषण कंपनी का
कारखाना लगने का विरोध करते आ रहे हैं। इस विरोध के बावजूद भी प्रदूषण नियंत्रण
परिषद ने प्रस्तावित भूषण पावर एंड स्टील प्लांट के लिये 24 सितंबर को जनसुनवाई का
आयोजन किया जिसका पोटका प्रखंड के लोग शुरू से ही विरोध कर रहे थे कंपनी ने अभी तक
जितनी जमीनें दखल की हैं वे विवादग्रस्त जमीनें…
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पोटका में भूषण स्टील प्लांट के खिलाफ 22 सितंबर से धरना जारी …
भूषण पावर एंड स्टील की ओर से पोटका में प्रस्तावित प्लांट को लेकर 24
सितंबर को जनसुनवाई का आयोजन किया गया…
कारगिल विजय के बाद अब जल,जंगल, जमीन की रक्षा की जंग की शुरूआत
जयराम सीकर जिले के नीम का थाना तहलील के डाबला गांव का रहने वाला है. वह भारतीय सेना की राजपूताना राइफल की दूसरी…
नगड़ी के रैयतों को न्याय कौन देगा?
नगड़ी के भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन पर ग्लैडसन डुंगडुंग कि एक रिपोर्ट :-झारखण्ड एक विशिष्ट राज्य है, जहां 32 विभिन्न तरह के आदिवासी समुदाय निवास करते हैं, जिनकी अपनी अद्भूत संस्कृति है। उनकी संस्कृति, आजीविका एवं अस्तित्व प्राकृतिक संसाधनों - जल, जंगल और जमीन पर आधारित है। छोटानागपुर काश्तकारी…
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करछना में किसानों की महापंचायत : जमीन नहीं देने का सकल्प दोहराया
इलाहाबाद के करछना तहसील के दस गाँवों के किसान 22 अगस्त को अपनी खेती की जमीन बचाने और पुलिल दमन के विरोध में…
चुटका परमाणु संघर्ष तेज, राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग
मंडला जिले की हरी-भरी धरती के सुदूर इलाक़े में छोटा सा आदिवासी गांव है- चुटका। तीन साल पहले तक नारायनगंज तहसील…
आखिर नगड़ी के दर्द को कौन समझेगा ?
झारखण्ड की राजधानी रांची से सटे कांके थानान्तर्गत एक आदिवासी बहुल गांव है जिसका नाम नगड़ी। इस गांव की 227 एकड़ जमीन राज्य सरकार ने बंदूक के बल पर छीनकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटि, आई.आई.आई.टी एवं आई.आई.एम. बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी । सरकार ने सैंकड़ों पुलिस फोर्स को खेत में उतार कर चारदिवारी का काम प्ररंम्भ किया । 9 जनवरी 2012 के बाद ग्रामीणों को…
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