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भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन
रेणुका बांध के खिलाफ संघर्ष जारी है. . . .
दिनांक 15 दिसंबर 2010 को हिमाचल प्रदेश के रेणुका, सिरमौर में जबरदस्ती भू-अधिग्रहण के खिलाफ स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) तथा राजस्व विभाग ने भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के सेक्शन 9 के तहत रेणुका बांध परियोजना के लिए पनार गांव की 680 बीघा जमीन (लगभग 57 हैक्टेयर) को अधिसूचित कर दिया। रेणुका बांध संघर्ष समिति…
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निरमा सीमेंट प्लांट विरोधी संघर्ष
महुआ क्षेत्र 1998 तक सौराष्ट्र का कश्मीर हुआ करता था वहां अधिकतर सभी फसलें हुआ करती थीं। आज भी महुआ की सब्ज़ी बम्बई…
राष्ट्रीय सम्मेलन : जनआंदोलनों का दमन
इंडियन सोशल एक्शन फोरम (इंसाफ) द्वारा 8 एवं 9 दिसंबर 2010 को राजेन्द्र भवन, नयी दिल्ली में ‘जन आंदोलनों के दमन’…
बलात कब्जायी जमीनें, अपनाया साम-दाम-दण्ड-भेद का आजमाया तरीका! सरकार एवं कम्पनियों का विकास को तेज करने का नया अंदाज़ !!
छत्तीसगढ़ राज्य में 69000 एकड़ जमीन (जो कृषि भूमि है) को गैर कृषि कार्यों हेतु स्थानांतरित कर दिया गया। सड़क के किनारे की लगभग सारी की सारी जमीनों का मालिकाना अब किसानों का नहीं रह गया है। आज किसानों की भूमि हड़पने की तिकड़म अपने शबाब पर है। आज छत्तीसगढ़ में भूमि हड़पने की साजिशें सबसे बड़ी चुनौती है।
रायगढ़ जनपद की रायगढ़, तमनार एवं घरघोड़ा…
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कार्यवाहियाँ पूर्व निर्धारित फिर भी जारी है जन सुनवाइयों की नौटंकी
पर्यावरण विभाग की जांच संदेह के घेरे में। कोल वाशरी की बोलती तस्वीरें।
मामला ‘‘जिंदल कोल वाशरी’’ जन सुनवाई का…
पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेस-वे के ख़िलाफ़ बढ़ता जनाक्रोश
केवल उत्तर प्रदेश में ही गंगा एक्सप्रेस-वे के पहले चरण के कारण घट जाएगा हजारों एकड़ कृषि योग्य उपजाऊ भूमि का रकबा…
नेशनल हिल्स पार्क : 37 गांवों के वाशिंदों को हटाकर जानवरों को बसाने का फरमान
राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले के ब्लॉक भैसरोडगढ में राजस्थान सरकार ने तीन ग्राम पंचायतों के 37 गांवों के वाशिंदों को हटाकर जानवरों को बसाने के उद्देश्य से नेशनल हिल्स पार्क बनाने का फैसला किया है।
इन गरीब आदिवासियों (भील) को विस्थापित करने का यह दूसरा षड्यंत्र हैं। पहले भारत सरकार द्वारा 1965 में राणाप्रताप सागर बांध बनाया गया जिसके चलते जो…
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जन सुनवाई का नाटक : जन विरोध को दबाने के लिए आँसू गैस, लाठी, गोली का इस्तेमाल
रायगढ़ के दर्रामुंडा के लोग नहीं चाहते थे कि कोई कंपनी उनके इलाक़े में डेरा डाले और उन्हें कहीं का न छोड़े…
मित्तल को अब चाहिए बोकारो में जमीन विरोध में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने…
झारखण्ड सरकार ने अगस्त 2005 में मित्तल कंपनी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये थे। इस एमओयू के आधार पर कंपनी 12,000…
पोस्को विरोधी धरने पर किये गये पुलिसिया हमले के खिलाफ 6 राजनीतिक दल पी.पी.एस.एस. के समर्थन में आये सामने तथा किया पोस्को कम्पनी का विरोध
पोस्को कम्पनी की स्थापना के लिए चुने गये तीन ग्राम पंचायतों- ढिंकिया, नुआगांव तथा गढ़कुजंग के प्रवेश द्वार बालिटुडा में जनवरी माह से चल रहे धरने; जिसने इन ग्राम पंचायतों में कम्पनी तथा सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर रखा था; पी.पी.एस.एस. के इस आंदोलन को पूरे देश के विभिन्न जन संघर्षों से मिल रहे समर्थन तथा उड़ीसा में चल…
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