संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

छत्तीसगढ़ : भले प्राण चले जाएं लेकिन जमीन नहीं देंगे बोधघाट परियोजना के लिए

दंतवाड़ा: जिले में एक बार फिर बोधघाट परियोजना को लेकर आस-पास के ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया है. जिले की सीमा से लगे बीजापुर हितकुडुम गांव में जिलों के 56 गांवों के आदिवासी और ग्रामीण एकजुट हो गए हैं. आदिवासियों का कहना है कि हम प्राण दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे.

ग्रामीणों का कहना है कि यह बांध हमारे खेत और घर को बर्बाद कर देगा. इंद्रावती नदी पर बांध बनाया जाना है. जिसको लेकर बीजापुर के हितकुडुम गांव में 56 गांव के लोग बोधघाट परियोजना के विरोध में इकट्ठा हुए. इस विरोध में आदिवासी समाज के नेता मनीष कुंजाम, पूर्व विधायक राजाराम तोडेम, चित्रकूट पूर्व विधायक लक्ष्मण राम कश्यप और अंतागढ़ पूर्व विधायक भोज राजनाथ उपस्थित रहे. जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि बोधघाट परियोजना लगने से बस्तर के लोगों को कितना नुकसान होगा.

पहले दिन 1 हजार ग्रामीण हुए शामिल

मां दंतेश्वरी जनजाति हित रक्षा समिति के सदस्य इस पर हितकूडूम गांव में चर्चा कर रहे हैं. तीन दिन चलने वाली इस चर्चा के दौरान जो फैसला होगा, उसके मुताबिक आगे की रणनीति तय की जाएगी. इसमें दंतेवाड़ा सहित बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर और बीजापुर जिले के हजारों ग्रामीण शामिल हो रहे हैं. पहले दिन ही करीब 1 हजार ग्रामीण परियोजना का विरोध करने परिचर्चा में शामिल हुए हैं.

वैसी जमीन नहीं मिलेगी जैसी अभी है: सुखमन

समिति के अध्यक्ष सुखमन कश्यप बताते हैं कि बांध के विरोध में हम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष सब से मिले थे. दंतेवाड़ा में आकर CM ने कहा है- बोधघाट बांध किसी के विरोध से नहीं रुकेगा. हम मुआवजा नहीं देंगे, जमीन देंगे. सुखमन कहते हैं कि इससे 56 गांवों के खेती को नुकसान होगा. वैसी जमीन नहीं मिलेगी. इसलिए हम जमीन नहीं देना चाहते. यहां बोर नहीं है, बारिश से ही खेती होती है. 12 साल में होने वाला देवी-देवता पूजन भी करेंगे.

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