संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

जल सत्याग्रह का 32वां दिन : फिर दिखाईं अतिक्रमित जमीने

आज 12 मई को 32 वें दिन जल सत्याग्रह जारी है, लोगों के पैर गलने लगे , हालत ख़राब होने लगी, पैर लहुलुहान होने लगे , बुखार की शिकायत और अन्य तकलीफे होने लगी लेकिन सरकार की बेरुखी से और असंवेदनशीलता से लोगों में रोष फैलता जा रहा है । दूर दूर से आ कर लोगों ने जल सत्याग्रह को अपना समर्थन व्यक्त किया । वही देश के 100…
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नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर के प्रभावित क्षेत्रो में पुनार्वास के दावे खोखले : जाँच…

बडवानी, मई 11, 2015, नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बाँध से विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास (जैसा सरकार ने…

पोखरण: राष्ट्रीय स्वाभिमान बनाम राइट हैण्ड ड्राईव

पोखरण परमाणु परीक्षणों का विरोध सिर्फ शान्ति के सरोकार से नहीं बल्कि इस देश के लोकतंत्र के लिहाज़ से भी ज़रूरी है.…

वीरपुर लच्छी के आदिवासियों पर खनन माफिया के जुल्म के विरोध में जंतर मंतर हुए प्रदर्शन पर आनंद स्वरूप वर्मा की टिप्पणी

आलोचना, आत्मालोचना और सबक - आनंद स्वरूप वर्मा की टिप्पणी प्रिय मित्रों, ‘दमन विरोधी संघर्ष समिति’ की ओर से कल 5 मई 2015 को ग्राम वीरपुर लच्छी (रामनगर) के…
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जल सत्याग्रह का 27वां दिन : भोपाल में ओंकारेश्वर बाँध विस्थापितों का प्रदर्शन

आज 7 मई को 27 वें दिन जल सत्याग्रह जारी है, 26वें दिन भोपाल में सैकड़ो ओंकारेश्वर बाँध विस्थापितों द्वारा विशाल…

संघर्ष की तस्वीर हुई थोड़ी और साफ़, किसानों ने भू-हड़प बिल के खिलाफ छेड़ी निर्णायक जंग

पिछले कई महीनों से ज़मीन अधिग्रहण अध्यादेश के मुद्दे मोदी सरकार के खिलाफ चल रही लड़ाई का स्वरुप आज दिल्ली के जंतर मंतर पर कुछ और साफ़ हो गया, जहां देश भर से आए किसानों ने मई की चिलचिलाती धूप में अपने पसीने से आंदोलन की लकीर खींच दी। किसान और ज़मीन के मुद्दे पर एक तरफ राजनीतिक गलियारों में दिशाहीन दलीलें और दूसरी तरफ किसानों की तकदीर को अन्ना हज़ारे…
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जल सत्याग्रह का 24वां दिन : सत्याग्रहियों के पैरों की हालत गंभीर

आज 4 मई को 24 वें दिन जल सत्याग्रह जारी है, स्वास्थ्य बहुत ज्यादा ख़राब हो रहा है पर अपने हक के लिए लड़ने का…

भूमि अधिकार संघर्ष महारैली : 5 मई 2015, संसद मार्ग नयी दिल्ली !

भूमि अधिकार संघर्ष महारैली : 5 मई 2015, संसद मार्ग नयी दिल्ली ! देश के तमाम मेहनतकश किसान, मज़दूर, कर्मचारी, लघुउद्यमी, छोटे व्यापारी, दस्तकारों, मछुवारे, रेहड़ी व पटरी वाले और इनके सर्मथक प्रगतिशील तबकों के लिए यह एक अति चुनौतीपूर्ण दौर है। अब शासकीय कुचक्र के खिलाफ संघर्ष के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, जनसंघर्षों के लंबे समय से जुड़े…
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