संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

छत्तीसगढ़ सरकार कभी आदिवासियों की आवाज नहीं सुनती, फिर जनसुनवाई की नौटंकी क्यों ?

छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर क्षेत्र के कांकेर जिले के आदिवासी गाँव रसूली की 220 हेक्टेयर जमीन नवभारत फ्यूज कंपनी को देने का फरमान जारी कर दिया है. कम्पनी इस जमीन पर लौह अयस्क आयरन ओर की माइनिंग करेगी. 7 सितम्बर 2016 को राज्य सरकार, कम्पनी और पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा गाँव से 35 किलोमीटर दूर भानुप्रतापपुर में पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लोक सुनवाई की नौटंकी की गई है. दूरी एवं जानकारी के अभाव में प्रभावित ग्रामीण आदिवासी सुनवाई में उपस्थिति नहीं हो पाये। जो कुछ ग्रामीण पंहुचे भी उनकी आपत्तियों को नजर अंदाज कर दिया गया. बस्तर से रिपोर्ट;

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य कांकेर जिले में नवभारत फ्यूज कंपनी लिमिटेड के प्रस्तावित लौह अयस्क आयरन ओर माइन की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए 7 सितम्बर बुधवार को भानुप्रतापपुर के जनपद पंचायत कार्यालय में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा जन सुनवाई का आयोजन किया गया।

जन सुनवाई से पहले प्रशासन ने प्रभावित होने वाले ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं दी। गोपनीय ढंग से जन सुनवाई को संपन्न कराने की कोशिश की गई। हालांकि इलाके के आदिवासियों को इस जन सुनवाई की भनक लग गई। जिसके बाद मौके पर पहुंचे आदिवासियों ने जमकर विरोध किया। बाद में प्रशासन को जन सुनवाई रद्द करनी पड़ी।

क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल जगदलपुर छ.ग. द्वारा लीज खनन हेतु रसुली आयरन ओर डिपाजिट माईन को लीज क्षेत्र 220 हेक्टेयर मे मेसर्स नवभारत फ्यूज कंपनी लिमिटेड रायपुर पर्यावरण स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई 7 सिंतबर बुधवार को जनपद पंचायत सभागार भानुप्रतापपुर में आयोजित की गई, जिसका विरोध जनप्रतिनिधी एवं ग्रामीणों के द्वारा किया गया।

गौरतलब हो कि उत्खनन क्षेत्र ग्राम रसूली भानुप्रतापपुर तहसील से लगभग 35 किलोमीटर दूर है उक्त वन क्षेत्र वनखण्ड पुराना 338 नया 615 एवं पुराना 339 एवं नया 616 कुल हेक्टयर 220 हेक्टयर में मेसर्स नवभारत फ्यूज कंपनी रायपुर के द्वारा लोक सुनवाई में ग्रामीणों की उपस्थिति नही के बराबर थी, महज ही 20 से 30 ग्रामीण उपसिथत रहे होंगे। दूरी होने एवं जानकारी के अभाव में ग्रामीण सभा में उपस्थिति नही दे पाये। वही जो कुछ ग्रामीणों आए वे भी लोक सुनवाई की कार्यवाही से अनिभिज्ञ थे, जिसके कारण नाराजगी जताते हुये लोक सुनवाई का विरोध जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों द्वारा किया गया।

ज्ञात हो कि लीज खनन क्षेत्र हेतु जिन क्षेत्रों का उल्लेख खनन कंपनी द्वारा किया गया उसकी सुनवाई पर्यावरण संरक्षण मण्डल जगदलपुर द्वारा आयोजित की गई जिसमें ग्रामीणों ने बताया कि वह क्षेत्र वनोच्छादित है जहां बहुतायत मात्रा में वन्यप्राणी का विचरण करते हैं उत्खनन होने से उनके रहने एवं भोजन का विनाश होगा, जिसके कारण वन्यप्राणियों की क्षति होना तय है।

स्थानीय पर्यावरण प्रेमी राजेश रंगारी ने लोक सुनवाई में पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि उक्त वन क्षेत्र में वनों का घनत्व 0.6 से ज्यादा है अतः सर्वे की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए तथा उक्त वन क्षेत्र जैव विविधताओं से संपन्न है खनन हेतु स्विकृति मिलने पर जैव विविधताओं की अपार क्षति होगी। वहीं कंपनी द्वारा कहां-कहां कार्य किया गया जिसकी जानकारी ग्रामीणों को नहीं दी गई जबकि भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय नई दिल्ली के दिशानिर्देश 2014 के अनुसार ग्रामीणों को जानकारी देना आवश्यक है।

देश के विभिन्न क्षेत्रो पर आयरन ओर का उत्खनन कार्य बहुतायत जगहों पर किया जा रहा है चुंकि जिन क्षेत्रों को पर्यावरण स्विकृति हेतु लोक सुनवाई की गई जहां पेड़-पौधों छोटी झाड़ियों एवं वन्य जीव प्राणियों के रहवासी को प्रभावित करेगा अतः उक्त कंपनी को उत्खनन हेतु दिया जाना उचित नहीं होगा। वहीं 70 वर्षिय धनसिंह टोप्पा ने कहा कि उक्त क्षेत्र में तीन चार पीढ़़ीयों से आस पास के ग्रामीण वनों एवं वहां से निकलने वनोपज से जिविकोपार्जन कर रहे हैं अतः उत्खनन हेतु कंपनी को नहीं दिया जाना चाहिए। जपनपद पंचायत दुगूकोंदल के सभापति कृषि समिति सोप सिंह आचला क्षेत्र क्रमांक 1 द्वारा आपत्ती दर्ज कराते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि जिस क्षेत्र पर उत्खनन हेतु सुनवाई की जा रही है जिसकी जानकारी ग्रामीणों के साथ-साथ क्षेत्र प्रतिनिधि होने के नाते मुझे भी नहीं दी गई।

आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक देवलाल नरेटी ने कहा कि कंपनी उत्खनन से पहले ग्रामीणों को कई लोक लुभावने सुविधाएं देने की बात करते हैं पर उत्खनन कार्य शुरू होने के बाद सारे वायदे भुल जाते हैं अब तक क्षेत्र मे कई कंपनीयों द्वारा उत्खनन किया जा रहा है पर ग्रामीण आज भी मूलभूत समस्याओं से जुझ रहे हैं। जगन्नाथ साहु ने भी विरोध जताते हुए कहा कि जिस क्षेत्र में उत्खनन किया जाना है उस क्षेत्र पर सुनवाई किया जाना चाहिए अतः इस सुनवाई का मैं विरोध करता हुं। लोक सुनवाई जिले के उप जिला दण्डाधिकारी, क्षेत्रिय अधिकारी पर्यावरण वन संरक्षण मंडल जगदलपुर की उपस्थिती में हुई इस दौरान पुलिस थाना भानुप्रतापपुर के नगर निरिक्षक एवं उप निरिक्षक जवानो सहित तैनात थे।

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