संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
.

भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन

पुलिसिया हमले के खिलाफ 5 राजनीतिक दल पी.पी.एस.एस. के समर्थन में आये सामने तथा किया पोस्को कम्पनी का विरोध

एक तरफ लाठी, डंडों और मशीनगन से लैस पुलिस के जवान तो दूसरी तरफ निरीह छोटे-छोटे बच्चे जो अपने पुरखों की जमीन बचाने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं । यह नजारा किसी फिल्म का नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र भारत के उडीसा राज्य के जगतसिंहपुर जिले का है जहां पोस्को की विशाल स्टील परियोजना के खिलाफ विस्थापन विरोधी लोगों की लडाई निर्णायक दौर में…
और पढ़े...

बर्बर पुलिसिया दमन के विरोध में उड़ीसा भवन पर प्रदर्शन

दिल्ली के उड़ीसा भवन पर आज सामाजिक संगठनों, कार्यकर्त्ताओं और छात्र-नौजवानों ने जगतसिंहपुर में पोस्को कम्पनी का…

सरकार-कोरपोरेट का गठजोड़: पोस्को विरोधी आंदोलनकारियों पर कातिलाना हमला, 10 किसान गिरफ़्तार

3 फ़रवरी, 2013 को सुबह के लगभग 4 बजे 12 प्लाटूनों से नुआगांव में पोस्को संयंत्र का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों पर हमला बोल दिया. इस कतिलाना हमले में कई महिला-बच्चें-बुजर्गों के घायल होने की खबर आई हैं. हमले के बाद घरों में सो रहे पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के कम से कम 10-12 स्थानीय किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबरन भूमि-अधिग्रहण के लिय…
और पढ़े...

किसानों की बेबसी बनाम सरकारी बेदिली

देश की राजधानी से मुश्किल से 250 कि.मी. की दूरी पर किसान अपनी ज़मीन बचाने के लिए लगातार 876 दिनों से धरने पर बैठे है। इन किसानों की 72 हजार बिघा ज़मीन नवलगढ़ (झुंझुनू, राजस्थान) में प्रस्तावित 3 सीमेंट प्लांटों में जा रही है। कई बार बंद, प्रदर्शन, रैली और धरने जैसे आयोजन कर सरकार को चेतावनी दे चुके किसानों का कहना है कि हम अपनी जान दे देंगे,…
और पढ़े...

‘1885 के बाद अफ्रीका को लूटने का यह नया सिलसिला है’

पिछले दिनों जर्मनी में ‘एफेक्टिव कोऑपरेशन फॉर ए ग्रीन अफ्रीका’ के जर्मनी में आयोजित पहले अधिवेशन में ओबांग मेथो…

कारपोरेट लूट- पुलिसिया दमन के विरोध में दुर्ग में दस्तक: किसान-मजदूर-आदिवासियों ने…

कंपनियों की जागारी नहीं, छत्तीसगढ़ हमारा है! लाठी गोली की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी!! …

मंत्री जी, देश की वनभूमि पर कारपोरेट का जंगलराज कायम हो गया है !

देश आज उस मुहाने पर खड़ा है जहां या तो जंगल बचाने वाले आदिवासी बचेंगे, या जंगलराज लाने वाले कारपोरेट. देश का क़ानून और संविधान कारपोरेट हितों का अभयारण्य बन गया है. वनभूमि-हस्तांतरण को रोकने के लिए 2006 में क़ानून तो बना, लेकिन जब इसे लागू करने के लिए ज़रूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति कंपनियों के आगे घुटने टेक देती हो तो हिमाचल हो या ओडीसा, छत्तीसगढ़ हो…
और पढ़े...