संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
.

दिल्ली

‘विकास’ की वजह से विनाश की ओर जाता आदिवासी समुदाय : कान में तेल डालकर बैठी सरकारें

अब केवल विकास करते रहना ही जरूरी नहीं है, बल्कि अब विकास और विकास नीतियों की समीक्षा जरूरी है। 1986 मे संयुक्त राष्ट्र संघ ने विकास के अधिकार की उदघोषणा तैयार की, जिस पर भारत सहित अनेक राष्ट्रों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस संधि के अनुसार विकास सभी नागरिकों का अधिकार है। विकास परियोजना के लिए तीन मापदंड निर्धारित किये गए हैं, (1) प्रभावित वयक्तियों की…
और पढ़े...

सरकारी उपेक्षा के खिलाफ किसानों ने भरी हुंकार : देश भर में 10,000 से ज्यादा जगहों पर विरोध प्रदर्शन

सरकारी उपेक्षा के खिलाफ किसानों ने भरी हुंकार मध्य प्रदेश सहित देश के 10,000 से ज्यादा गांवों, टोला, तहसील, ब्लॉक कस्बों और जिलों में विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर कहा किसानों को विशेष पैकेज दे सरकार 250 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किया था आव्हान  27 मई 2020 नयी दिल्ली।  पिछले 2 महीने से देश भर में…
और पढ़े...

मोदी सरकार कॉरपोरेटस हित में पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्रकिया में बदलाव कर रही

सरकार तथा कम्पनियों की क्रूर चाल के विरोध में न्यायपूर्ण एवं लोकतांत्रिक संघर्ष को गोलबंद करने की जरुरत है। यह…

भारत जोड़ो- संविधान बचाओ, समाजवादी विचार यात्रा : 30 जनवरी से 23 मार्च, 2020

दिल्ली 28 जनवरी 2020।  समाजवादी समागम के अध्यक्ष मंडल ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए…

राष्ट्रीय बजट का आधा हिस्सा हो किसानों के लिए : राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति का जंतर मंतर पर सत्याग्रह; 1 फरवरी 2020

दिल्राली 28 जनवरी 2020। राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति ने माननीय प्रधानमंत्रीजी को पत्र लिखकरमांग की है कि किसानों और गांवों का देश कहे जानेवाले भारत में किसान, कृषि और गांव केंद्रित अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने के लिये किसान की जनसंख्या के आधार पर कमसे कम 50 प्रतिशत बजट राशि आवंटित करे। 1 फरवरी 2020 को जब संसद में बजट पेश किया जायेगा तब देश भर से आये…
और पढ़े...

जन विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के खिलाफ किसान संगठन एकजुट : 4 नवंबर 2019 को जंतर…

मेगा व्यापार सौदा के खिलाफ सभा और धरना प्रदर्शन जंतर मंतर, नई दिल्ली: 4 नवंबर 2019। 12  बजे से मोदी सरकार…

आदिवसियों को जंगलों से उजाड़े जाने का प्रतिरोध करें : देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में…

13 फरवरी 2019 को आदिवासियों को उनके जंगलों से उजाड़े जाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भले ही सर्वोच्च न्यायालय…

निजीकरण के बढ़ते कदम : सामाजिक उपक्रमों को बेचने में रेलवे मात्र शुरुआत है

दिल्ली, 17 जुलाई। भारतीय रेलवे को पूंजीपतियों के हाथ बेचने की जन-विरोधी सरकार की घोषणा के ख़िलाफ़ दिल्ली सहित देश के कई इलाको में प्रदर्शन हो रहे है और निगमीकरण व निजिकरण की जनविरोधी नीतियों को वापस लेने की माँग बुलंद हुई है। हिंदुस्तान की 70 प्रतिशत जनता अब भी रेलवे से ही सफर करती है। रेलवे ने इस देश में सतत विकास की ओर जीवन रेखा का काम किया है।…
और पढ़े...