संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्यवार रिपोर्टें

कोयले से बिजली, बिजली से राखड़ और राखड़ से तबाही

-दीपमाला पटेल और ध्वनि शाह हमारे यहां बिजली के लिए कोयले का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है, लेकिन उससे पैदा होने वाली राख पर्यावरण, पानी, खेती और हवा तक को खतरे में डालती है। पिछले महीने महाराष्ट्र के नागपुर में राखड के तालाब टूटने के दो हादसे हुए हैं। प्रस्तुत है, उन दुर्घटनाओं के प्रभावों पर आधारित दीपमाला पटेल और ध्वनि शाह की यह रिपोर्ट; पिछले…
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गोम्पाड नरसंहार मामले पर उच्चतम न्यायालय का यह फैसला नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत को उलट कर रख देता है : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

14 जुलाई 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 के एक मामले में हिमांशु कुमार और बारह अन्य लोगों द्वारा दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले (तत्कालीन दंतेवाड़ा) के गांवों में आदिवासियों की गैर-न्यायिक हत्याओं की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। इस हादसे को गोम्पाड नरसंहार के रूप में जाना जाता है जिसमें सितंबर और अक्टूबर
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नर्मदा नव निर्माण अभियान पर फर्जी मुकदमा उनके ऐतिहासिक संघर्ष को बदनाम नहीं कर…

नर्मदा नव निर्माण अभियान पर फर्जी मुकदमे के खिलाफ जनसंघर्ष समन्वय समिति का वक्तव्य मेधा पाटकर और नर्मदा नव निर्माण…

वन जमीन डायवर्जन नियम में संशोधन : कारपोरेट के सामने नतमस्तक सरकार

मोदी सरकार की “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” नीति के तहत केंद्रीय वन, पर्यावरण एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 जून…

झारखण्ड : स्वामित्व योजना के खिलाफ रांची में संघर्ष संकल्प गोष्ठी; 9 जुलाई 2022

संघर्ष संकल्प गोष्ठी दिनांक: 9 जुलाई 2022 समय : 10 बजे से स्थान : एचआरडीसी रांची, खजूर तालाब के पास। निवेदक-आदिवासी अस्तित्व रक्षा मंच, मुंडारी खूंटकटी परिषद। संपर्क -दयामनी बरला-9431104386 तुरतन तोपनो-7091128043, आइए मिल कर झारखंड को बचाए। आप सभी जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने सांप, भालू, बाघ, बिच्छू जैसे खुंखार जंगली जानवरों से लड़कर…
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संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट और दमन को साझे संघर्ष ही दे पायेंगे चुनौती : भूमि अधिकार…

रायपुर 28 जून 2022, पेस्टोरल सेंटर में भूमि अधिकार आंदोलन एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के बैनर तले जल-जंगल-ज़मीन की…

सौ साल बाद भी संघर्षों को दिशा दिखाता मुलशी सत्याग्रह

कम ही लोगों को मालूम होगा कि विस्थापन-पुनर्वास से लेकर विकास की अवधारण तक पर सवाल उठाने वाली बांध विरोध की ‘नर्मदा…

उड़ीसा : वन मंजूरी के बिना हो रहा खनन ‘अवैध’ है- सुप्रीम कोर्ट

6 जून 2022 नयी दिल्ली; सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से नाराजगी जताते हुए कहा कि खनन कंपनियां, जिन्हें केंद्र और अन्य प्राधिकारों द्वारा वन मंजूरी नहीं दी गई है, वे ओडिशा में खनिजों की "अवैध खनन" जारी रखे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 जून) को ओडिशा में कुछ फर्मों द्वारा "यथास्थिति" आदेशों की आड़ में अधिकारियों से वन मंजूरी (एफसी) प्राप्त किए…
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