संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट और दमन को साझे संघर्ष ही दे पायेंगे चुनौती : भूमि अधिकार आंदोलन

रायपुर 28 जून 2022, पेस्टोरल सेंटर में भूमि अधिकार आंदोलन एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के बैनर तले जल-जंगल-ज़मीन की कॉर्पोरेट लूट, दमन और विस्थापन के खिलाफ जनसंघर्षों के एकदिवसीय राज्य सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व सांसद हनन मोल्लाह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सम्मेलन में आए वक्ताओं ने देश में जल-जंगल-ज़मीन और जनतंत्र की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ एकजुट होने…
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सौ साल बाद भी संघर्षों को दिशा दिखाता मुलशी सत्याग्रह

कम ही लोगों को मालूम होगा कि विस्थापन-पुनर्वास से लेकर विकास की अवधारण तक पर सवाल उठाने वाली बांध विरोध की ‘नर्मदा…

उड़ीसा : वन मंजूरी के बिना हो रहा खनन ‘अवैध’ है- सुप्रीम कोर्ट

6 जून 2022 नयी दिल्ली; सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से नाराजगी जताते हुए कहा कि खनन कंपनियां, जिन्हें केंद्र और अन्य…

आदिवासियों की बदहाली के संवैधानिक गुनहगार

संविधान में आदिवासियों को मिले विशेष दर्जे को आमतौर पर अनदेखा किया जाता रहा है। मसलन – राज्यपालों को अनुसूचित क्षेत्रों में विशेषाधिकार दिए गए हैं, ताकि वे आदिवासियों की विशिष्ट जीवन पद्धतियों, खान-पान और भाषा आदि को देखते हुए उनके हित में निर्णय ले सकें, लेकिन विडंबना है कि अधिकांश राज्यपाल संविधान के इस प्रावधान से अनजान, अछूते ही रहे हैं।…
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राकेश टिकैत पर हमला : किसान संगठन अपने नेताओं की सुरक्षा का इंतजाम स्वयं करें

राकेश टिकैत पर स्याई फेंके जाने की घटना की न्यायिक जांच कराए कर्नाटक सरकार सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग -डॉ…

पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के राज्यपालों को गृह मंत्रालय का दिशा-निर्देश

दिल्ली 26 मई 2022। पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, गुजरात,…

गुजरात : पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!

-विवेक शर्मा वैसे तो इस देश में हमेशा से आदिवासी समाज हाशिये पर रहा है, लेकिन इन दिनों गुजरात में यह समाज भाजपा सरकार की पूंजीवादी नीतियों के कारण बिल्कुल ही गर्त में जाने को मजबूर हो चुका है। आदिवासियों को गुजरात की भाजपानीत सरकार की नीतियों ने इस कदर मजबूर कर दिया है कि वर्तमान में जब समूचा देश गर्मी के प्रकोप, गरीबी, महंगाई जैसी वीभत्स हालातों…
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दिल्ली : लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र भी वैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हैं तथा वे सरकार की विस्तारित इकाई बन गए हैं। पीठ ने कहा कि 1972 (ग्रेच्युटी का भुगतान) कानून आंगनवाड़ी केंद्रों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों पर लागू होगा।
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