विश्वविद्यालय बनाम सरकार : सरकार बनाम देश
क्या भाजपा जेएनयू को अपना ख़ास देशी थीआनमेन स्क्वायर बनाना चाहती है? आखिर वह कौन सी चीज है जो सत्ता के सर्वोच्च शिखरों को एक विश्वविद्यालय के खिलाफ एकतरफा युद्ध जैसी स्थिति में उतार देता है? यदि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय का नाम दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय या श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय होता क्या तब भी भाजपा का यही रुख रहता? लम्बे समय से…
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नई फसल बीमा योजना किसानों के साथ छलावा है : डॉ सुनीलम
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 16 फ़रवरी को जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय एवं समाजवादी समागम के…
भूमि की लूट और आजीविका संकट के विरोध में भूमि अधिकार आंदोलन का सम्मेलन
भूमि अधिकार आंदोलन, राजस्थान
दिनांक: 19 फरवरी, 2016
समय: दोपहर 12 बजे से
स्थान: मजदूर किसान…
जेएनयू से क्यों डरता है संघ परिवार – सुचेता डे
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष रही सुचेता डे ने कैम्पस पर संघी हमले के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की और 15 फ़रवरी को जेएनयू में हुई बैठक में इस हमले की व्यापक पृष्ठभूमि समझाई। यह वीडियो ज़रूर देखें -
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के विचारों में…
https://www.youtube.com/watch?v=21qExVVuhhk
नई दिल्ली जेएनयू में पढ़ाई-लिखाई ठप है क्योंकि छात्र संघ के अध्यक्ष…
अदालत में संघी हिंसा, न्याय हुआ शर्मसार
-संजीव चंदन
आज लगभग 2 बजे मैं लोक गायक और 'शिवाजी अंडरग्राउंड इन भीमनगर' के लेखक संभाजी भगत के साथ पटियाला कोर्ट…
सरसों सत्याग्रह : जीन सरसों के विरोध में जन संगठनों का विरोध प्रदर्शन
आप को याद होगा कि किस तरह 2010 में हम सब नागरिकों ने मिल कर गैर जरूरी, अनचाही और असुरक्षित संशोधित जीन वाले (जीएम) बीटी बैगन को अपनी भोजन की थाली और अपने खेतों में आने से रोका था। तब भारत सरकार ने संशोधित जीन वाली फसलों पर रोक लगाने के लिए बहुत से ठोस कारण सामने आए थे। अब पांच साल बाद फिर से एक संशोधित जीन वाले खाद्य पदार्थो में संशोधित जीन वाली…
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सपा की वादा खिलाफी के खिलाफ रिहाई मंच का अभियान पहुंचा इलाहाबाद
आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों को फसाने की राजनीत का खात्मा व्यापक जन आन्दोलन से ही संभव- मो शोएब
सपा की वादा…
जिंदल, नैनिसार की जमीन और जन आक्रोश
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के नैनिसार में जिंदल ने अप्रैल 2015 में समुदाय की भूमि हड़प ली । शुरू से ही स्थानीय…
कंकरीट के जंगलों से घुट रही यमुना की साँसे
संभवत दिल्ली की पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारें यही सोचती हैं कि निर्माण ही खाली पङी जगह का एकमेव उपयोग है। यमुना की ज़मीन पर खेल गांव निर्माण के विरोध में हुए 'यमुना सत्याग्रह' को याद कीजिए। इस बाबत् तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी के एक पत्र के जवाब में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने लिखा था - 'हाउ कैन वी…
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