संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

गिरता पानी खंडधार, बिक गया तो रक्तधार

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले का सुदूर इलाका खंडधार आदिम जनजाति पौड़ीभुइयां के लिए जाना जाता है. पौड़ीभुइयां की संख्या खंडधार में अब भी कम से कम 30,000 है. अपने वजूद को बचाने के लिए ये लोग आखिरी जंग लड़ रहे हैं. यह लड़ाई इलाके को और यहां के लोगों को विदेशी कंपनियों के खनन से बचाने के लिए है. सरकार खंडधार की बची-खुची जमीन और जलप्रपात को खनन के…
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विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन का राष्ट्रीय सम्मेलन-रैली; 9-10 फरवरी 2016, हैदराबाद

हैदराबाद चलें! विस्थापन के खिलाफ! फासीवाद के खिलाफ! साम्राज्यवादी विकास मॉडल का पुरजोर विरोध करो! जनविकास मॉडल का निर्माण करो! कारपोरेट की दलाली करने वाली सरकार के खिलाफ जनांदोलन तेज करो! भूमकाल दिवस के अवसर पर विस्थापन विरोधी जनविकास आन्दोलन का दूसरा केन्द्रीय सम्मेलन व रैली सम्मेलन तिथि: 9 व 10 फरवरी, 2016 (सुबह से शाम तक) स्थान: डा.…
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उत्तराखण्ड जन आंदोलनों की धरती है और इस परंपरा का निर्वाह निरंतर जारी है

उत्तराखण्ड बनने के साथ ही जल-जंगल-जमीन की लूट का खेल भी प्रदेश में शुरू हो गया था. राज्य की प्रगतिशील, संघर्षशील, आंदोलनकारी शक्तियां इस लूट के विरोध में सघर्षरत रही है चाहे वह वीरपुर-लच्छी में अवैध स्टोन-क्रशर का आंदोलन हो या हाल ही में शुरू हुआ अल्मोड़ा जिले के नैनीसार (द्वारसो) में जिंदल को जमीन दिए…
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राष्ट्रपति से मध्य प्रदेश के आदिवासियों ने की संरक्षण या मौत का रास्ता बताने की…

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के चिचोली ब्लाक के कामठा माल और बोड पंचायत के उमरडोह बसाहट को 19…

रोहित की ज़िंदगी : परतदार दर्द की उलझी हुई दास्ताँ

सुदीप्तो मंडल, हिंदुस्तान टाइम्स, गुंटूर/हैदराबाद. 27 जनवरी, 2016 अनुवादः रश्मि शर्मा रोहित वेमुला की कहानी उसके उसके जन्म से 18 वर्ष पूर्व, सन् 1971 की गर्मियों में गुन्टूर शहर से प्रारंभ होती है। यही वह वर्ष था जब रोहित की दत्तक नानी अंजनी देवी ने उन घटनाक्रमों को प्रारंभ किया, जिन्हें बाद में इस शोधार्थी ने अपने आत्महत्या नोट में गूढ़ रूप…
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