पोस्को के खिलाफ जनसंगठनों की लामबंदी तेज
भुबनेश्वर में पोस्को विरोधी रैली में नियमगिरि के डोंगरिया कोंड आदिवासी
गुजरी 12 अप्रैल को उड़ीसा के भुवनेश्वर में पोस्को प्रतिरोध दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से लोयर पीएमजी स्ट्रीट तक एक रेली का आयेाजन किया गया था दूसरे दिन उड़ीसा सरकार के द्वारा जनांदोलनों पर जारी दमन के बीच लोक शक्ति अभियान, जन संघर्ष समन्वय समिति, इंसाफ व जन…
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परमाणु लॉबी का बंधक बना भारतीय लोकतंत्र
मनमोहन सिंह और जार्ज बुश के बीच 2005 में परमाणु संधि हुई, जिसमें भारत के परमाणु कार्यक्रम पर से अंतर्राष्ट्रीय…
मॉरीशस मार्ग और देश की लूट: विदेशी पूंजी की बंधक एक सरकार
इस् बार देश के संसाधनों की लूट् के लिए कोई वास्कोडिगामा भारत नहीं आया. हिंद महासागर में स्थित एक छोटा सा…
वन अधिकार कानून लागू करने के आधे-अधुरे फैसले
हिमाचल सरकार ने प्रदेश में 7 अप्रैल को आयोजित होने वाली ग्राम सभा में वन अधिकार कानून -2006 के तहत वन अधिकार कमेंटी गठित करने का ऐजेंडा में शामिल करना जल्दवाजी प्रस्तावित किया हैं। इस संर्दभ में निदेशक पंचायती राज ने आदिवासी विकास विभाग से प्राप्त ऐजेंडा का हवाला देते हुए सभी ग्राम सभाओं को 26 मार्च 2013 को पत्र जारी किया और ग्राम सभा में वन…
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मुलताई गोली कांड : रामू पवार बैतूल जेल से रिहा
गुजरी 5 अप्रैल को मुलताई गोली कांड में रामू पवार को भी जमानत मिल गई है ज्ञात रहे कि मुलताई गोली चालन से…
यह आत्महत्या नहीं, हत्या है : जाँच दल
राजस्थान के झुंझनू जिले में अवैध खनन का विरोध कर रहे वतंत्रता सैनानी ताड़केश्वर शर्मा के पौत्र प्रदीप शर्मा की…
कटवरिया सराय के रेहड़ी-पटरी दुकनदारों पर पुलिसिया दमन
होली पर्व से पहले लोग खुशियों से लबरेज होते हैं, काफी दिन पहले से ही लोग इस त्यौहार को मनाने की तैयारी में लगे रहते हैं। दुकानदार इस त्यौहार में अपनी दुकानों को सजाते हैं, रंग-बिरंगी पिचकारी, गुलाल तथा होली का सामान आपको रेहड़ी-पटरी पर भी मिल जाता है। दक्षिणी दिल्ली के कटवरीया सराय के रेहड़ी-पटरी दुकानदारों के सामने समस्या बन कर आया। होली का…
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साइकिल पर कमल सजाने की तैयारी
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम विरोधी हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर आदियोग की रिपोर्ट;
फ़िरक़ापरस्त ताक़तें हमेशा इस ताक में…
ईंट भट्टा मजदूरों पर एक नजर
ईंट भट्टा मजदूरों की आपात स्थिति को उजागर करता सुनील का महत्वपूर्ण आलेख;
जहां उद्योग लगते हैं उस इलाके में माल…
मनरेगा : काम के अधिकार के साथ बेहूदा मज़ाक़
भगत सिंह ने आज़ादी के लिए शहादत दी थी, 23 मार्च 1931 को इंक़लाब ज़िंदाबाद का नारा लगाते हुए हंसते-हंसते फ़ांसी का फंदा चूमा था। उनके लिए आज़ादी का यह मतलब नहीं था कि गोरे अंग्रेज़ विलायत भाग जायें और काले अंग्रेज़ उसी ज़ालिम कुर्सी पर क़ाबिज़ हो जायें- और जनता वहीं की वहीं रहे, ग़ुलामी सहे और घुट-घुट कर जिये। देश को आज़ादी मिली लेकिन देश के लोगों की आज़ादी…
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