संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखंड के मुख्य न्यायधीश के नाम खुला पत्र

झारखंड की बहुसंख्यक जनता, आदिवासियों और मूलवासियों को न्याय मिले; उनके हितों में बने और उनकी जमीनों की रक्षा के लिए बने कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों की रक्षा हो। इस संधर्भ में विस्थापन विरोधी एकता मंच एवं कोल्हान प्रमंडल, जमशेदपूर, ने झारखंड के मुख्य न्यायधीश के नाम खुला पत्र लिखा है- माननीय, मुख्य न्यायधीश झारखंड…
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दुखयारे के दुःख को दुखयारा समझे

कुडमकुलम के परमाणु संयत्र विरोधी आंदोलन पर किये जा रहे दमन के खिलाफ रावत भाटा परमाणु संयत्र के…

कुडनकुलम में पुलिसिया दमन के खिलाफ देश भर में विरोध-प्रदर्शन

कुडनकुलम में आज सुबह दूसरे दिन भी जल सत्याग्रह जारी है. सरकार ने समुद्र में जला सत्याग्रह कर रहे मछुआरों पर नौसेना के जहाज तैनात कर दिए हैं, जो पूरे इलाके पर मंडरा रहे हैं जिससे लोगों में भय व्याप्त है. पूरे इलाके में पुलिस की नाकेबंदी से लोगों को खाने-पीने के सामान तथा दवाइयों तक की कमी हो रही है. देश के नागरिकों से अपील तमिलनाडू के दक्षिणी चोर…
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कूडनकुलम में शुरू हुआ जल सत्याग्रह

11 सितम्बर 2011 आज सुबह से तीन हज़ार आम लोग कूडनकुलम में समुद्र के पानी में 'जल सत्याग्रह' कर रहे…

कूडनकुलम: रिएक्टर का धेराव कर रहे लोगों पर बर्बर लाठी चार्ज

कूडनकुलम से आ रही सूचना के मुताबिक़ वहाँ समुद्र और रिएक्टर के बीच प्रदर्शन पर जमे लोगों पर पुलिसिया दमन शुरू हो चुका…

जल सत्याग्रह का 17वां दिन: जल सत्याग्रहियों की जिंदगी दांव पर‎!!11!!

जल सत्याग्रह आंदोलन के समर्थन में आसपास के 250 गांवों के करीब 5000 लोग घोघल गांव में ही जम गए हैं. कुल 51 पुरुष और महिलाएं जल सत्याग्रह कर रहे हैं और बाकी लोग उनका हौसला बढ़ा रहे हैं.जमीन से उखड़े लोग कितने असहाय है और प्रशासन कितना मदमस्त. इसका यह एक उदहारण है.?आम जनता के जीने मरने के सवालों के प्रति सारी सरकारें बहरी…
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जल सत्याग्रह 13 वें दिन भी जारी, देश भर से समर्थन!!

जल सत्याग्रह का यह अनोखा आंदोलन अब काफी जोर पकड़ता जा रहा है और इनके समर्थन में आसपास के 250 गांवों के करीब 5000…

ख़ूनी चेहरे के रंग-रोगन की क़वायद

बसगुड़ा नर संहार का सच सामने आने के बाद सरकार ने अपनी छीछालेदर से बचने के लिए नया पैंतरा चला कि माओवादी आदिवासियों को अपनी ढाल बना रहे हैं। यह रिपोर्ट इस सफ़ेद झूठ की चीरफाड़ करते हुए इसे वर्दीधारी गुंडों के अगले अत्याचारों को जायज़ ठहराने की घिनौनी रणनीति करार देती है। साथ ही यह ख़ुलासा भी करती है कि सरकारी तंत्र किस तरह पत्रकारों को अपनी कठपुतली…
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