कोयला सत्याग्रह: ज़मीन हमारी तो कोयला भी हमारा
गांधी जयंती के मौक़े पर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कोई 14 गांवों के किसानों ने कोयला क़ानून तोड़ने का साहसी काम किया। कोयले पर अपनी दावेदारी दर्शाने के लिए उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से अपनी ज़मीन से कोयला खोदा। नारा दिया कि ज़मीन हमारी तो कोयला भी हमारा। किसानों का यह क़दम इस नारे को सच में बदले जाने के संघर्ष की शुरूआत था। पेश है इस…
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बीस साल बाद किसानों को मिला इंसाफ़
अभी हाल में आये बिलासपुर उच्च न्यायालय के एक फ़ैसले ने उन किसानों में इंसाफ़ मिलने की आस जगा दी है जिनकी ज़मीन…
खतरनाक विकिरण के साये में उत्तराखंड
कूडनकुलम और जैतापुर में परमाणु-विरोधी आंदोलन को एक तरफ सरकार अंधविश्वास से प्रेरित, अवैज्ञानिक और विदेशी हाथ से संचालित बता रही है, जबकि पूरे हिमालय को घातक विकिरण का शिकार बनाते विदेशी हाथों पर दशकों से चुप्पी साधे हुए है. भारतीय आमजन और हमारे पर्वतों-नदियों तक को अमेरिकी हितों की बलि चढाने पर आमादा सरकार की पोल इस लेख से खुलती है:
45 साल पहले…
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याद किये गये शहीद नियोगी
पिछली 28 सितंबर को नियोगी शहादत दिवस के मौक़े पर कई जगह आयोजन हुए।
भोपाल, मुंबई समेत कई जगहों पर आयोजन हुए।…
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिव के नाम जनसुनवाई पर आपत्ति पत्र-
झारखंड के पोटका प्रखंड के लोग पिछले सात वर्षों से भूषण कंपनी का
कारखाना लगने का विरोध करते आ रहे हैं। इस विरोध के…
पोटका में भूषण स्टील प्लांट के खिलाफ 22 सितंबर से धरना जारी …
भूषण पावर एंड स्टील की ओर से पोटका में प्रस्तावित प्लांट को लेकर 24
सितंबर को जनसुनवाई का आयोजन किया गया था जिसका प्रखंड के लोग शुरू से ही
विरोध कर रहे थे. भूषण स्टील के प्लांट के खिलाफ 22 सितंबर से धरना जारी है. पेश है कुमार चंद्र मार्डी कि रिपोर्ट -
पोटका प्रखंड के लोग पिछले सात वर्षों से इस क्षेत्र में…
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हुल-1 लघु जल विद्युत परियोजना के विरोध में चम्बा में प्रदर्शन
हुल-1 लघु जल विद्युत परियोजना के विरोध में चम्बा में 4 अक्तुबर 2012 को जिलाधीश कार्यालय के बाहर…
कूडनकुलम: बर्बर दमन के बीच जारी जनांदोलन को देश भर से समर्थन
कूडनकुलम में परमाणु-रिएक्टर के खिलाफ चल रहा आंदोलन निर्णायक दौर में पहुँच गया है. पिछले महीने की शुरुआत में…
भारत के ट्रेड यूनियन आंदोलन की समस्याएं
28 सितंबर शंकर गुहा नियोगी की शहादत का
दिन है। बीस साल पहले इसी दिन उन्हें गोलियों का शिकार बनाया गया था। यह
उद्योगपतियों का घिनौना कारनामा था जिनकी मज़दूर विरोधी नीतियों की राह में नियोगी
जी बहुत बड़ा रोड़ा बन गये थे। वे मज़दूर हितों के निडर और अडिग योद्धा थे। विचार, संघर्ष और रचनाशीलता उनकी सक्रियताओं का
प्रस्थान बिंदु था। वे ट्रेड यूनियन…
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