संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

आंध्र प्रदेश के किसानों ने भी तेज किया परमाणु संयंत्र का विरोध

हरियाणा के गोरखपुर तथा महाराष्ट्र के जैतापुर में प्रस्तावित परमाणु संयंत्र के विरोध की चिंगारी को जापान की त्रासदी ने हवा दी है और अब इसकी लपटें महाराष्ट्र (जैतापुर) के पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश तक पहुंच गई हैं। सिरीकाकुलम जिले के रणस्थलम मंडल की 30 ग्राम पंचायतों ने मोर्चा बनाकर कोव्वाडा गांव में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के खिलाफ…
और पढ़े...

श्रीकाकुलम में थर्मल पॉवर प्लांट के विरोध में संघर्ष पुलिस फायरिंग में 3 किसानों…

श्रीकाकुलम में थर्मल पावर प्लांट के विरोध में खड़े गांव वालों, किसानों, मछुआरों के ऊपर आंध्र प्रदेश पुलिस ने जुलाई…

जापान के बाद जैतापुर में बढ़ी हाय तौबा

जापान में परमाणु हादसे के बाद जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना का विरोध ओर तेज हो गया है। विरोध कर रहे लोगों का कहना…

निरमा सीमेंट कम्पनी तथा भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन

गुजरात के भावनगर जिले में एक सीमेंट कारखाना लगाने के फैसले के विरोध में 12 गांवों के  5000 से अधिक किसानों की पदयात्रा 350 किमी. लम्बी दूरी तय करके 17 मार्च 2011 को गांधीनगर पहुंची। जल-जमीन एवं जंगल बचाओ पदयात्रा 3 मार्च 2011 को महुवा क्षेत्र के धोलिया गांव से शुरू की गयी थी। इस पदयात्रा में शामिल किसानों को एक बड़ी सफलता 12 मार्च 2011 को तब…
और पढ़े...

रेल विस्तार परियोजनायें : भूमि अधिग्रहण का तीखा विरोध

सिंगूर और नंदीग्राम के प्रस्तावित भूमि अधिग्रहणों पर ग्रहण लगाने के बाद हाबड़ा के सांकराइल, बोलपुर, हुबली के…

सम्मेलन – उदास मौसम के खि़लाफ

29 नवंबर 2010, रवींद्रालय, लखनऊ 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा बाबरी मस्जिद और उसके परिसर की ज़मीन की मिल्कियत को लेकर दिए गए फैसले ने भारतीय संवैधानिक ढाँचे की बुनियाद को लेकर कई गंभीर सवाल पैदा कर दिए हैं, प्रश्न मस्जिद के परिसर की मिल्कियत से अधिक अब इस बात का है कि क्या न्यायालय धार्मिक आस्थाओं की ऐतिहासिकता की…
और पढ़े...

भूमि अधिग्रहण स्वीकार्य नहीं : सीमेंट प्लांट विरोधी आंदोलन, नवलगढ़

किसानों ने घेरा तहसील, छात्रों से पुलिस की धक्का-मुक्की यदि हुआ भूमि अधिग्रहण तो घड़साना जैसे हालात- का. अमराराम…

साक्षात्कार : कुमटी माझी, अध्यक्ष नियामगिरि सुरक्षा समिति

हमें विकास की रोशनी दिखायी जा रही है। कोठियों, बाजारों, सड़कों का जाल दिखाया जा रहा है। हमारी उन्नति की, समृद्धि की बात की जा रही है।. . . . . .  हमें यह सब कुछ नहीं चाहिये . . . . . हम अपनी माटी नहीं छोड़ेंगे। न जान देंगे और न जमीन देंगे। -कुमटी माझी, अध्यक्ष, नियामगिरि सुरक्षा समिति (वेदांता विरोधी संघर्ष, उड़ीसा)
और पढ़े...