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झारखण्ड
झारखण्ड-छत्तीसगढ़ के संगठनों की पहल काम आया आपसी तालमेल: बंधुआ हुए मुक्त
उल्लेखनीय यह है कि बंधुआ मजदूरों को आपसी समन्वय से इन संगठनों ने मुक्त तो करा लिया परंतु भट्ठा मालिक के खिलाफ बंधुआ श्रमिक एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज नहीं किया गया, जबकि होप (झारखण्ड) एवं छत्तीसगढ़ महिला मंच (छ.ग.) जैसे संगठन इस पर लगातार जोर देते रहे.....
8 जनवरी 2012 को सुबह 7-8 के बीच मुझे देवघर के साथी ने फोन पर यह सूचना दी कि आपके क्षेत्र…
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कारपोरेट, कंपनियों तथा भू-माफियाओं के सामने झारखण्ड सरकार ने टेके घुटने
छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट तथा संथाल परगना टेनेंसी एक्ट को
सख्ती से लागू करने की मांग को लेकर जारी संघर्ष
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भूमि अधिग्रहण तथा प्रस्तावित योजना के बारे में जानकारी लेने की कोशिश सूचना अधिकार…
मित्तल विरोधी आंदोलन की जुझारू नेता, स्वतंत्र पत्रकार तथा आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की नेता दयामनी बारला…
कांटी बांध : स्थानीय निवासियों, भू- स्वामियों को बताने तथा भूमि अधिग्रहण की सूचना देना भी जरूरी नहीं समझा सरकार ने
· सर्वे करने गये लागों को खदेड़ा ग्रामीणों ने।
· ठेकेदार की मशीनें की गयीं वापस।
· जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन।
एक आदिवासी की अगुवाई में चलने वाली झारखण्ड सरकार को एक ऐसे डैम के निर्माण को रोकने के लिए कहना पड़ा जिस डैम का निर्माण कार्य बिना किसी सूचना, भूमि की मापी, मुआवजे के दर के निर्धारण तथा मुआवजे के अग्रिम…
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आज भी वंचित है बिरसा का गाँव
गाँव के आदिवासियों को स्कूल और पानी चाहिए। स्कूल है, पर अध्यापक नहीं आते और पानी लाने के लिए औरतों को मीलों जाना…
साक्षात्कार : कुमार चन्द मार्डी
हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं। दमन, उत्पीड़न, गिरफ्तारियां तथा फर्जी मुकदमें हमें डिगा नहीं सकते। हम जनवरी 2011 से…
मित्तल को अब चाहिए बोकारो में जमीन विरोध में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने कसी कमर
झारखण्ड सरकार ने अगस्त 2005 में मित्तल कंपनी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये थे। इस एमओयू के आधार पर कंपनी 12,000 हेक्टेयर भूमि हथियाना चाहती थी। इस भूमि पर कंपनी आयरन ओर की माइनिंग, कोल ब्लाक, टाउनशिप, एसईजेड, आवागमन के लिए सड़क मार्ग, कच्चा माल तथा तैयार माल बाहर भेजने के लिए रेलवे मार्ग, पानी के लिए डैम जैसी बुनियादी सुविधायें जुटाना चाहती थी।…
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